भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के हीरो रहे और पाकिस्तान के लिए साक्षात काल के रूप में रहे फ्लाईंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों जी का आज अर्थात 17 जुलाई को जन्म दिवस है. आज ही के दिन अर्थात 17 जुलाई सन 1947 को रूरका गांव, लुधियाना, पंजाब में इस परमवीर का जन्म हुआ था. युद्ध के बस कुछ ही महीने पहले उनका विवाह हुआ था और उसमें भी निर्मलजीत सिंह जी ने पत्नी मंजीत कौर के साथ बहुत थोड़ा सा समय बिताया था.
नए जीवन के कितने की सपने उनकी आंखों में रहे होंगे, जो देश की मांग के आगे छोटे पड़ गए. उन्हें उस निर्णायक पल में सिर्फ अपना नेट विमान सूझा और दुश्मन के F-86 सेबर जेट, जिन्हें निर्मलजीत सिंह जी को मार गिराना था. 14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के छह सैबर जेट विमानों ने एकसाथ हमला किया. सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ्लाईंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह जी वहां पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे. दुश्मन F-86 सेबर जेट विमानों के साथ आया. उस समय निर्मलजीत जी के साथ फ्लाईंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर मौजूद थे. एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुंध थी.
सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है. निर्मलजीत सिंह जी तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया. ठीक 8 बजकर 4 मिनट पर दोनों वायुसेना अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे. उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था. एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था. उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह जी का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा. घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे.
सेखों ने हवा में आकर दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था. जिसने एयर फील्ड पर बम गिराया था. बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था. सारी एयर फील्ड धुएं और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी. इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था. तभी फ्लाइट कमांडर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तैयारी में हैं. घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह जी की मदद के लिए वहां पहुंच सकें लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका.
तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह जी की आवाज़ सुनाई पड़ी ."मैं दो सेबर जेट विमानों के पीछे हूं .. मैं उन्हें जाने नहीं दूंगा ."उसके कुछ ही क्षण बाद निर्मलजीत सिंह जी के नेट से आक्रमण की आवाज आसमान में गूंजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया. तभी निर्मलजीत सिंह सेखों जी ने अपना सन्देश प्रसारित किया ."मैं मुकाबले पर हूं और मुझे मजा आ रहा है. मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं. मैं एक का ही पीछा कर रहा हूं, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है. "इस सन्देश के जवाब में स्क्वाड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजीत सिंह जी को कुछ सुरक्षा संबंधी हिदायतें दी, जिसे उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया था.
इसके बाद उनके नेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के दूसरे सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज आई. अभी निर्मलजीत सिंह जी को कुछ और भी करना बाकी था. उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ तीसरा सेबर जेट भी ढ़ेर हो गया. कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों जी का सन्देश फिर सुना गया. उन्होंने कहा-"शायद मेरा नेट भी निशाने पर आ गया है . घुम्मन, अब तुम मौर्चा संभालो." इसके बाद उन्होंने अपने जलते हुए फाइटर नेट को सीधा रखते हुए लैंड करने की कोशिश की मगर विमान का कंट्रोल सिस्टम अचानक फेल हो गया और विमान पहाड़ियों में जा गिरा अंतिम क्षणों में फ़्लाइंग अफसर निर्मलजीत सिंह सेखो जी ने इजेक्ट का आखिरी प्रयास किया मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थो और निर्मलजीत सिंह जी फाइटर प्लेन समेत पहाड़ियों में जा गिरे. यह निर्मलजीत सिंह जी का अंतिम सन्देश था.
अपना काम पूरा करके वह देश की आन, बान, शान के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए. भारतीय सेना और वायुसेना के तमाम ऑपरेशनों के बाद भी इन अमर बलिदानी का शव पहाड़ियों से ढ़ूढ़ा नहीं जा सका. जो उन के परिजनों के लिए बहुत ही दुखद था. अद्भुत पराक्रम एवं शौर्य तथा कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा एवं रणभूमि में सर्वोच्च वीरता के प्रदर्शन के कारण इन्हें मरणोपरांत इन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च वीरता सम्मान "परमवीर चक्र" से सम्मानित किया गया।विडंबना की बात ये भी रही की बिना आदेश मिले जहाज उड़ाने के कारण "कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी" भी हुई जिसे मात्र एक खानापूर्ति तक सीमित रखा गया.
जिस पाकिस्तानी पाइलेट "सलीम बेग मिर्जा" जिसने उनके विमान पर निशाना लगाया था, उसने बाद में एक पुस्तक और कई स्थानीय आर्टिकल्स में निर्मलजीत सिंह सेखों के रणकौशल की भूरी-भूरी प्रसंशा की।वे भारतीय वायुसेना के एकमात्र परमवीर चक्र सम्मानित हैं. भारतवर्ष की एकता और अखंडता पर प्राण न्यौछावर करने वाले भारत माँ के वीर सपूत को आज जन्म उनके दिवस पर शत्-शत् नमन, वंदन व् अभिनन्दन.. जय हिंद की सेना !!