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11 दिसंबर : जन्मजयंती स्वतंत्रता सेनानी और महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी... जिन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों में राष्ट्र चेतना को किया जागृत

आज महान कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है

Sumant Kashyap
  • Dec 11 2024 8:43AM

हमारे देश में ऐसे अनेकों महान महापुरुषों ने जन्म लिया है, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया है. हमारे ही देश में कई ऐसे लोग थे जिन्होंने भारत के इतिहास से इन लोगों को मिटाने की कई कोशिशें की. इन लोगों ने उन सभी क्रांतिकारियों और महापुरुषों के नाम को छिपाने की कोशिश की. उन लाखों महान महापुरुषों में से एक थे कवि सुब्रह्मण्य भारती जी.

भारत के इतिहास को विकृत करने वाले इतिहासकारों ने न सिर्फ सुब्रह्मण्य भारती जी को बल्कि उनकी कविताओं को भी नई पीढ़ी से छिपाने की कोशिश की. वहीं, आज महान कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के सामने लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.

सुब्रह्मण्य भारती जी एक महान तमिल कवि होने के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता-सेतु के समान थे. सुब्रह्मण्य भारती जी को 'महाकवि भारतियार' के नाम से भी जाना जाता है. उनका जन्म 11 दिसम्बर 1882 को भारत के दक्षिणी प्रान्त तमिलनाडु के एक् गांव एट्टयपुरम् में हुआ था. उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था.

सुब्रह्मण्य भारती जी की प्रारम्भिक शिक्षा वहीं के एक स्थानीय विद्यालय में हुई थी. किशोरावस्था में ही सुब्रह्मण्य भारती जी के माता-पिता का निधन हो गया था. जिसके बाद उन्होंने सन् 1897 में उनका विवाह चेल्लमल से हुआ था. सन् 1898 में उच्च शिक्षा के लिए वो बनारस गए थे. बनारस जाने के बाद सुब्रह्मण्य भारती जी का हिन्दू अध्यात्म व राष्ट्रप्रेम से साक्षात्कार हुआ.

सन् 1900 तक सुब्रह्मण्य भारती जी पूरी तरह से भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ चुके थे. उन्होंने भारत में होने वाली सभी सभाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था. क्रांतिकारी और राष्ट्रीय आन्दोलन में जुड़े होने के कारण पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी. 1908 में सुब्रह्मण्य भारती जी पांडिचेरी गए, जहां उन्होंने दस वर्ष बिताए. पांडिचेरी में रहने के दौरान उन्होंने कविता और गद्य के जरिये स्वतंत्रता की बातें करनी शुरू की. ‘साप्ताहिक इंडिया’ के द्वारा वो स्वतंत्रता की प्राप्ति, जाति भेद को समाप्त करने और राष्ट्रीय जीवन में नारी शक्ति की पहचान के लिए काम करने में लग गए.

1908 में रचित ‘स्वदेश गीतांगल’ तथा 1909 में रचित ‘जन्मभूमि’ उनके देशभिक्तपूर्ण काव्य माने जाते हैं. सुब्रह्मण्य भारती जी के काव्य में राष्ट्रप्रेम् और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति ललकार के भाव दिखाई देते थे. सुब्रह्मण्य भारती जी के अनुसार स्वतंत्रता प्राप्ति और भारत की रक्षा के लिए तीन चीजे मुख्य थी- बच्चों के लिए विद्यालय, कल -कारखानों के लिए औजार और अखबार छापने के लिए कागज. 

स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए सुब्रह्मण्य भारती जी को 20 नवम्बर 1918 में जेल जाना पड़ा था. बता दें कि 11 सितंबर 1921 को स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी. आज महान कवि सुब्रह्मण्य भारती जी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के सामने लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.


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