7 दिसंबर: जन्मजयंती जतीन्द्रनाथ मुखर्जी जी... अगर इन्हें ना मिला होता धोखा तो भारत हो जाता 1915 में ही स्वतंत्र
आज जतीन्द्रनाथ मुखर्जी जी को जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है
स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी ऐसे थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया. ऐसा ही एक नाम था जतीन्द्रनाथ मुखर्जी/यतीन्द्रनाथ मुखर्जी. जो 'बाघा जतिन' के नाम से जाने जाते थे. कहते हैं कि भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने के लिए बाघा जतिन ने एक ऐसी योजना बनाई थी कि भारत 1915 में ही स्वतंत्र हो गया होता. अगर ऐसा होता हो तो शायद देश की स्वतंत्रता का इतिहास भी बिल्कुल अलग होता.
बाघा जतिन किसी भी अंग्रेज को अगर अकेला देखते तो उसकी पिटाई कर देते थे. कहा जाता है कि एक बार उन्होंने एक साथ आठ फिरंगियों को पीट डाला था. वहीं, आज यतीन्द्रनाथ मुखर्जी जी को जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.
जानकारी के लिए बता दें कि जतीन्द्रनाथ मुखर्जी बंगला के नादिया जिले में पैदा हुए थे, जो अब बांग्लादेश में है. पिता की मौत के बाद उनकी परवरिश उनकी मां शरतशशि ने की थी. खेलकूद में उनकी बहुत रूचि थी. यही वजह थी कि उनका शरीर बलवान था. बता दें कि बचपन में अपने मामा के साथ उनकी मुलाकात अक्सर रवीन्द्र नाथ टैगोर से होती थी. बाघा जतिन टैगोर से बहुत प्रभावित थे. वे नाटकों में भाग लिया करते थे. एक बार किसी भारतीय का अपमान करने पर उन्होंने एक साथ चार-पांच अंग्रेजों की पिटाई कर दी थी.
इधर, अंग्रेजी अफसरों को जतिन और उनके साथियों की ख़बर लग चुकी थी. वे कप्टिपाड़ा गांव में छिपे थे. बाघा का आखिरी वक्त आ गया था. उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया. उनका साथी चित्तप्रिय उस वक्त उनके साथ था. दोनों तरफ़ से गोलियां चलने लगी. इसी बीच जतिन का शरीर गोलियों से छलनी हो गया. बलिदान होने से पहले जतिन ने बयान में कहा कि गोली उन्होंने और चित्तप्रिय ने चलाई थी. वहां मौजूद बाकी अन्य लोग निर्दोष हैं. इसके बाद बालासोर अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. वहीं, आज यतीन्द्रनाथ मुखर्जी जी को जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.
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