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Akhuratha Sankashti Chaturthi: साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत कल, जानिए पूजन विधि, तिथि और उपाय

हिंदू धर्म में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी को बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है।

Rashmi Singh
  • Dec 17 2024 5:36PM

हिंदू धर्म में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी को बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह त्यौहार प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित है। अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी है।  इस दिन भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही जीवन में चल रही परेशानियों और संकटों से भी मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन किए जाने वाले कुछ खास उपाय। 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि

पंचांग के अनुसार अखुर्थ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को सुबह 10:43 बजे से शुरू होकर अगले दिन 19 दिसंबर, गुरुवार को सुबह 10:02 बजे समाप्त होगी। इस वर्ष अखुर्थ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 दिसंबर, बुधवार को रखा जाएगा।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। 
विजय मुहूर्त : दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से लेकर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 5 बजकर 25 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। 
अमृत काल : सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें और स्नान करें। इसके बाद भगवान गणेश का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें। अब घर में मौजूद मंदिर या पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें। अब एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रखें। अब गणेश जी की मूर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। अब गणेश जी को कुमकुम, चंदन, फल और फूल चढ़ाएं।  इसके बाद गणेश जी को मोदक, दूर्वा, फल और मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के दौरान गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। मंत्र जाप के बाद गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें। आरती के साथ पूजा का समापन करें।  इस दिन व्रत रखा जाता है और एक बार भोजन किया जाता है। व्रत चन्द्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। जब चाँद निकल आए तो चाँद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें। 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सभी तरह की परेशानियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और रुकावटें दूर होती हैं। भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं, इस दिन उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। गणेश जी के आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है। धन की प्राप्ति होती है और व्यापार में वृद्धि होती है। अखुट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है।

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