उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की एक मदरसे से उठी चिंगारी अब आग का रूप लेती नज़र आ रही है। दारुल उलूम गौसिया नामक मदरसे में पढ़ाई जा रही एक विवादित किताब ने न केवल धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाई, बल्कि महिलाओं और अन्य जीव-जंतुओं के प्रति भी आपत्तिजनक बातें उगल दीं।
बताया जा रहा है कि यह किताब मदरसे के ही मौलवी मंजूर आलम द्वारा लिखी गई थी। किताब का नाम 'सलीक-ए-जिंदगी' है, लेकिन इसमें जीवन के सलीकों की जगह अंधविश्वास, कट्टरता और नफरत परोसी गई है।
ज़िले के न्यूरिया कस्बे में स्थित इस मदरसे की किताब में जहाँ एक ओर गर्भपात कराने के घरेलू नुस्खे बताए गए, वहीं दूसरी ओर अन्य धर्मों को लेकर घोर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ और जानवरों के साथ क्रूरता भरे व्यवहार को सामान्य बताया गया।
मदरसा कमेटी ने हटाया मौलवी
जैसे ही यह जानकारी सामने आई, मदरसा कमेटी ने तत्काल मौलवी मंजूर आलम को पद से हटा दिया। लेकिन ये फैसला मंजूर आलम के समर्थकों को रास नहीं आया। फरियाद अहमद नामक व्यक्ति के नेतृत्व में भीड़ ने कमेटी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे पूरे कस्बे में तनाव की स्थिति बन गई। हालात संभालने के लिए पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा।
अब फिरौती और धमकी की एंट्री
बवाल यहीं नहीं थमा। 3 अप्रैल 2025 को न्यूरिया बस स्टैंड पर कहानी ने नया मोड़ लिया, जब फरियाद अहमद पर प्रार्थी मोहम्मद आज़म से 5 लाख रुपये की फिरौती मांगने का आरोप लगा। चश्मदीदों के अनुसार, फरियाद ने रोहिल और उवैस के सामने धमकाया कि यदि शिकायत वापस लेनी है तो पैसे देने होंगे। इतना ही नहीं, फरियाद ने यह भी स्वीकारा कि इससे पहले चेयरमैन पति गुड्डू से 1.60 लाख रुपये की वसूली भी कर चुका है।
घटना की जानकारी मिलते ही न्यूरिया थाने की प्रभारी रूपा बिष्ट ने संज्ञान लिया और आरोपी पक्ष पर फिरौती, धमकी और दबाव बनाने के आरोपों में मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की तहकीकात शुरू कर दी गई है और पुलिस स्थिति पर निगाह बनाए हुए है।