दशहरा यानी विजयादशमी का त्योहार इस वर्ष 12 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व रखता है। यह दिन मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने और भगवान श्रीराम द्वारा रावण के खिलाफ विजय प्राप्त करने का प्रतीक है।
रावण का वध और विभीषण की सलाह
रामायण के अनुसार, रावण एक अत्यंत शक्तिशाली और युद्ध में माहिर योद्धा था। उसकी महाकायता के कारण भगवान श्रीराम के लिए उसे पराजित करना एक चुनौती बन गया था। इस संकट में रावण का भाई विभीषण आगे आया और राम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत है, और उसे मारने का एक विशेष उपाय है। विभीषण ने सुझाव दिया कि श्रीराम को रावण की नाभि पर एक विशेष अस्त्र का प्रहार करना होगा। यह दिव्य अस्त्र ब्रह्माजी द्वारा रावण को दिया गया था और मंदोदरी के कक्ष में रखा हुआ था। इसे प्राप्त करने के लिए हनुमान ने वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण कर मंदोदरी के पास गए।
श्रीराम का अंतिम बाण
भगवान श्रीराम ने रावण के वध के लिए कुल 31 बाण चलाए। इनमें से 10 बाणों ने रावण के दस सिरों को काट गिराया, जबकि 20 बाणों ने उसके हाथ और धड़ को अलग कर दिया। अंतिम बाण, जो रावण की नाभि पर लगा, उसकी मृत्यु का कारण बना। इस क्षण में जब रावण का धड़ पृथ्वी पर गिरा, तो धरती कांप उठी। यह क्षण त्रेतायुग के आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ।
युद्ध की अवधि
किवदंती है कि राम और रावण के बीच युद्ध कुल 84 दिनों तक चला, लेकिन मुख्य संघर्ष 8 दिनों तक चला। यह युद्ध आश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शुरू हुआ और दशमी को रावण के वध के साथ समाप्त हुआ। भगवान श्रीराम के पास कोदंड धनुष था, जिससे छोड़े गए बाण हमेशा अपने लक्ष्य को भेदते थे।
दशहरा न केवल विजय का पर्व है, बल्कि यह धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई का प्रतीक भी है।