राजस्थान का उदयपुर एक मिलिट्री सेंटर हैं जहाँ पर अक्सर तोपों और बंदूकों की गड़गड़ाट सुनाई देती रहती हैं. यहां कभी कभार युद्ध जैसा माहौल भी देखने को मिलता रहता हैं. इसी उदयपुर में एक मेनार गांव है जहां होली के अवसर पर युद्ध जैसा माहौल देखने को मिलता है क्योंकि इस गांव में खेली जाती हैं बारूद की होली जिसमें लोग बारूद, बंदूकों, तोपों और तलवारों से लैस होकर इस होली का आयोजन बड़े ही धूमधाम से करते है। इस वर्ष भी यह होली 15 मार्च को यहां खेली जाएगी.
इस होली की परंपरा लगभग 400 वर्ष पुरानी है. दुल्हड़ी के अगले दिन इस गाँव के लोग इकट्ठा होते है और ओंकारेश्वर चौक पर मेवाड़ी भेषभूसा में सज-धज कर योद्धा के रूप में हवाई फायर और तोपों के माध्यम से फायर कर आंनद लेते है, रात को तलवारो के माध्यम से जवरी भी खेला जाता हैं जिसमें तलवारबाज़ अपने अपने जौहर का परिचय देते हैं.
बताते चलें कि, मुगलकाल में मेवाड़ भी मुगलों के अत्याचारों से पीड़ित था जिस समय महाराणा प्रताप ने मुगलों के विरुद्ध युद्ध की शुरुआत की उसी समय मेनार गाँव के ब्राह्मणों ने भी मुगल अत्याचारों के खिलाफ युद्ध शुरु कर दिया था और अंत में विजय पताका लहराई, तभी से बंदूकों और तोपों की होली कि परंपरा शुरु हुई.
मेनार गाँव में होली की तैयारियों के साथ साथ बंदूकों और तलवारो की भी तैयारियां होने लगती है और लोग बड़े ही उत्साह से ही रात का इंतज़ार करने लगते हैं और इस उत्सव का आनंद लेने की लिए हर उम्र के महिला-पुरुष शामिल होते है.