भारतीय सेना ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (CLAWS) के सहयोग से “आधुनिक युद्धों में वायु रक्षा: सीख और भविष्य की क्षमताएँ” विषय पर पुणे में एक सेमिनार आयोजित किया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। इसका उद्देश्य नए हवाई खतरों, विशेष रूप से ड्रोन और उन्नत मिसाइल हमलों से निपटने के लिए सेना की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना था।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
आधुनिक युद्धों में ड्रोन, सटीक मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। ये नई चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए भारतीय सेना को अपनी वायु रक्षा और ड्रोन विरोधी (C-UAS) क्षमताओं को मजबूत करना आवश्यक है।
सेमिनार में प्रमुख चर्चाएँ
1. ड्रोन और उन्नत हवाई हमलों का बढ़ता खतरा
• ड्रोन का उपयोग अब जासूसी (Surveillance) और सटीक हमलों के लिए किया जा रहा है।
• लॉन्ग-रेंज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियार जैसी नई चुनौतियाँ उभर रही हैं।
• ड्रोन के बढ़ते उपयोग के कारण हवाई क्षेत्र की सुरक्षा अधिक जटिल हो गई है।
2. ड्रोन हमलों का मुकाबला कैसे करें?
• बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली (Multi-Layered Defence): अलग-अलग हथियार प्रणालियाँ, जो विभिन्न दूरियों पर खतरों का पता लगाकर उन्हें नष्ट कर सकें।
• इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare - EW): जैमर और सिग्नल हस्तक्षेप (Signal Interference) तकनीक का उपयोग करके दुश्मन के ड्रोन को बेअसर करना।
• बेहतर कमांड और कंट्रोल: हवाई क्षेत्र की निगरानी को मजबूत करना ताकि तेजी से प्रतिक्रिया दी जा सके।
3. रूस-यूक्रेन युद्ध से मिली सीख
• ड्रोन अब आक्रमण और रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।
• यूक्रेन के मजबूत वायु रक्षा सिस्टम (S-300, पैट्रियट, NASAMS, IRIS-T, SAMP-T) ने रूसी हवाई हमलों को रोका।
• रूस की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) तकनीक ने दुश्मन के ड्रोन को निष्क्रिय कर दिया।
• फाइबर-नियंत्रित (OFC) FPV ड्रोन जैसी नई तकनीकों से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ कमजोर हो सकती हैं।
भारत के लिए प्रमुख निष्कर्ष
• मजबूत ग्राउंड-बेस्ड एयर डिफेंस (GBAD) सिस्टम ड्रोन और मिसाइल खतरों से निपटने के लिए आवश्यक हैं।
• ड्रोन विरोधी (C-UAS) क्षमताओं को सभी सैन्य अभियानों में एकीकृत किया जाना चाहिए।
• इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) और जैमिंग तकनीक वायु रक्षा में अहम भूमिका निभाएगी।
• ड्रोन झुंड (Drone Swarms), पैदल सेना, तोपखाने और वायु सेना के साथ मिलकर काम करेंगे, जिससे युद्ध की पारंपरिक रणनीतियों में बदलाव आएगा।
• स्वदेशी रक्षा नवाचार भारत की दीर्घकालिक वायु रक्षा क्षमताओं के लिए आवश्यक है।
आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी रक्षा समाधान
आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, भारत वायु रक्षा और ड्रोन विरोधी प्रणालियों के विकास में तेजी ला रहा है। आर्मी डिजाइन ब्यूरो (ADB) स्टार्टअप्स और रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर नई पीढ़ी की एंटी-ड्रोन तकनीक, हाइब्रिड C-UAS सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध समाधान विकसित कर रहा है।
आगे की राह
यह सेमिनार सैन्य नेतृत्व, रक्षा विशेषज्ञों और उद्योग जगत के हितधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहाँ भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतियाँ बनाई गईं।
वैश्विक युद्धों से सीख लेकर और स्वदेशी रक्षा तकनीकों में निवेश करके, भारत अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर रहा है ताकि आने वाली चुनौतियों का डटकर सामना किया जा सके।