उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में जहाँ एक ओर प्रेम-प्रसंगों, अवैध संबंधों और हत्याओं की बाढ़ आयी हुई है, वहीं दूसरी तरफ देवबंद से आया है एक तीखा बयान। इस बयान ने मुस्लिम समाज के भीतर बहस छेड़ दी है। जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने खुलेआम मुस्लिम महिलाओं को चेताया है- इस्लाम के नाम पर नहीं, बर्बादी के रास्ते पर चल रही हो तुम!
मौलाना का साफ और दो टूक पैग़ाम है- "किसी भी औरत को गैर-महरम मर्द का छूना इस्लाम सिरे से खारिज करता है। शादी हो या कोई रस्म- ये बेहयाई है, इबादत नहीं!"
‘मेहंदी के बहाने बर्बादी मत बुलाओ’
कारी इसहाक गोरा का दावा है कि आजकल शादी-ब्याह की रस्मों में मुस्लिम महिलाएं मजहब की मर्यादाएं लांघ रही हैं। गैर-मर्दों से मेहंदी लगवाना इस्लाम की शरीयत के खिलाफ है। मौलाना ने यह भी कहा कि इस तरह की रस्में पश्चिमी दिखावे की देन हैं, जिनका इस्लामी तहज़ीब से कोई लेना-देना नहीं।
शरीयत का हवाला और सख्त अपील
मौलाना ने कुरान और शरीयत का हवाला देते हुए कहा, "गैर-महरम से परहेज, पर्दा और हया इस्लाम की रीढ़ हैं। कोई भी ताम-झाम या रस्म इस उसूल से ऊपर नहीं है।" उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को दो टूक शब्दों में कहा—"मजहब मज़ाक नहीं है। हर फ़ैसला इस्लामी उसूलों की रोशनी में लो वरना अंजाम तुम जानती ही हो।"
समाज में बहस, समर्थन और विरोध शुरू
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रिया की बाढ़ आ गई है। कोई इसे 'धार्मिक अनुशासन की ज़रूरत' बता रहा है तो कोई 'नारी की आज़ादी पर हमला'। लेकिन मौलाना अपने रुख़ पर कायम हैं- "इस्लाम में ढील नहीं, सीधी बात होती है।"