कानून गो और लेखपाल पर रिश्वत लेकर मकान नापने का आरोप
कौशांबी। मंझनपुर तहसील क्षेत्र के गुलामीपुर गांव में विवादित जमीन का मामला गरमाता जा रहा है। आरोप है कि मंगलवार को एसडीएम के निर्देश पर पहुंचे कानून गो और लेखपाल ने एक पक्ष से रिश्वत लेकर पीड़ित का मकान ही नाप दिया। जबकि, विवादित भूमि की नाप और पत्थरगडी अप्रैल 2023 में ही हो चुकी है। पीड़ित ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, आयुक्त के साथ ही डीएम से भी की है।
गुलामीपुर निवासी शिवबरन ने बताया कि गांव में उनकी 26 बिस्वा पारिवारिक भूमिधरी जमीन है। आरोप है कि विपक्षी उक्त भूमि पर काफी दिनों से अवैध कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। 11 अप्रैल 2023 को नाप हुई थी। इसमें साफ हुआ था कि पीड़ित की आराजी संख्या 523 पर उसका मकान बना हुआ है। साथ ही कुछ पेड़ भी लगे हुए हैं। पत्थरगढ़ी तक हो गई थी। तत्कालीन राजस्व टीम की नापजोख के बाद डीएम, एसडीएम, और एडीएम अपनी कोर्ट से पीड़ित के पक्ष में आदेश भी कर चुके हैं। उसी दौरान यह भी स्पष्ट हुआ था कि विपक्षी की आराजी संख्या 524 है उसकी तीन बिस्वा नौ धूर भूमि अधिक भी नक्शे में मिली थी। उसकी भूमि सड़क में जा चुकी है। पीड़ित शिवबरन का कहना है कि मंगलवार को एसडीएम के आदेश पर फिर से कानून गो और लेखपाल की टीम मौके पर पहुंची। विपक्षी से सांठगांठ कर इस टीम ने सेहन (सेहद्दा) के बजाए सड़क से नाप की और पीड़ित की भूमि के साथ उसका मकान तक नाप दिया। पीड़ित ने टीम में शमिल गुवारा तैयबपुर गांव के लेखपाल पर विपक्षी से रिश्वत लेकर गलत नाप करवाने का खुला आरोप लगाया है। यह भी बताया है कि मुकदमा कमिश्नरी में दाखिल होने के बाद भी रिश्वत लेकर नाप कराई गई है।
इंसाफ नहीं मिला तो करूंगा पलायन
पीड़ित शिवबरन का कहना है कि अधिकारियों ने इंसाफ नहीं किया तो वह परिवार के साथ गांव छोड़कर कहीं बाहर चला जाएगा। बताया कि बार बार नाप करवाकर विपक्षी मानसिक दबाव बना रहे हैं। इससे पूरा परिवार पारेशान है।
हल्के का लेखपाल नहीं है बसंत, 20 मिनट में नाप
पीड़ित का कहना है कि नाप करने आई राजस्व टीम ने 20 मिनट के भीतर मनमाने ढंग से नाप कर दी। पीड़ित को इसकी लिखित में कोई जानकारी तक नहीं दी गई थी। यह सबकुछ वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया है। आरोपी टीम में कानून गो राजेश दुबे, लेखपाल बसंत, कुलदीप शुक्ला, पंकज मौर्य शामिल थे। इनमे लेखपाल बसंत पर सबसे गंभीर इल्जाम है। हालांकि, खेल में शामिल पूरी टीम है। बताया की कानून गो मूकदर्शक की तरह खड़े थे। लेखपाल बसंत ने ही अपने मन से नाप की। हदबंदी में भी इसी विवादित लेखपाल को शामिल किया गया था। अब पत्थरगढ़ी में भी उसी को भेजा गया, जिससे उसने मनमानी की। पीड़ित ने लेखपाल बसंत का निलंबन नहीं होने पर मुख्यमंत्री को खून से चिट्ठी लिखने की बात कही है।
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