हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाने की परंपरा है। मान्यता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करने से लोगों का कल्याण होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण करके राक्षस हयग्रीव का वध किया था और वेदों की रक्षा की थी। इस दिन श्रीहरि की पूजा और कुछ दैवीय उपाय बताए जाते हैं, जिन्हें करने से रोजगार में तरक्की मिलती है।
कैसे करें पूजा ?
मत्स्य द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें। कपड़े आदि पहनकर पूजा शुरू करें। पूजा स्थल पर जल से भरे चार कलश रखें। इसमें फूल डालें, इसके बाद चारों कलशों को तिल की टिकिया से ढक दें। उनके सामने भगवान विष्णु की पीली धातु की मूर्ति रखें और फिर धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि से उनकी पूजा करें।
इस मंत्र का करें जाप
मंत्र: ॐ मत्स्यरूपाय नमः॥
दिव्य उपाय
मत्स्य अवतार को भगवान विष्णु के 12 अवतारों में पहला अवतार माना जाता है। इस दिन जलाशय या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से व्यक्ति की कुंडली के दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के सामने रोली मिल गाय के घी का दसमुखी दीपक जलाने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। अगर किसी को नौकरी या बिजनेस में परेशानी आ रही है तो इस दिन भगवान विष्णु पर चढ़ाया हुआ सिक्का जल में प्रवाहित करें।