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Mahakumbh 2025: महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान आज, जरूर करें ये 3 काम, मिलेगा पुण्य प्राप्ति का मौका

महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान आज है।

Rashmi Singh
  • Feb 3 2025 9:00AM

महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान आज, 3 फरवरी को त्रिवेणी घाट पर किया जा रहा है। इस अवसर पर नागा साधु पहले स्नान करेंगे, उसके बाद अन्य श्रद्धालु भी इस पवित्र स्नान में भाग लेंगे। इस दिन को विशेष माना जा रहा है, क्योंकि यह बसंत पंचमी के साथ मेल खाता है और इसका एक शुभ योग बनता है।

बसंत पंचमी और महाकुंभ का संगम

2 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया गया, लेकिन पंचमी तिथि 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में रहने के कारण इसे बसंत पंचमी का अमृत स्नान कहा जा रहा है। यह दुर्लभ योग सालों बाद आ रहा है, जिससे इस दिन किए गए शुभ कार्यों से विशेष लाभ मिलने की संभावना है।

महाकुंभ स्नान की विधि

महाकुंभ में स्नान करने के लिए कुछ खास विधियों का पालन करना आवश्यक है। पहले नागा साधु-संत त्रिवेणी घाट में स्नान करेंगे, फिर अन्य श्रद्धालु गंगा, यमुन, सरस्वती सहित अन्य पवित्र नदियों का स्मरण करते हुए स्नान करेंगे। नदी में घुटनों तक उतरकर, थोड़ा जल लेकर संकल्प लें और फिर “गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।” इस मंत्र का जाप करते हुए 5 बार डुबकी लगाएं। ध्यान रखें कि डुबकी के समय आपका मुंह सूर्य की ओर होना चाहिए।

पवित्र मंदिर में पूजा और इष्टदेव का स्मरण

अमृत स्नान के बाद, श्रद्धालुओं को पवित्र मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके साथ ही अपने इष्टदेव और पितरों का स्मरण करने से पापों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जो लोग महाकुंभ में स्नान करने नहीं जा पाए, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं और फिर मंदिर में पूजा-पाठ कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।

दान और तर्पण का महत्व

महाकुंभ के इस विशेष दिन पर दान करने का बड़ा महत्व है। स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, या धन का दान करने से न सिर्फ आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि देवी-देवताओं और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्माएं शांत होती हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

पितृ पक्ष के समान पुण्य

धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ के इस अमृत स्नान के दौरान किए गए श्राद्ध कार्य पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध जितने ही पुण्यदायी माने जाते हैं। इस दिन पितरों के मंत्रों का जप करने और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

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