'एक देश एक चुनाव विधेयक' लोकसभा में स्वीकार होने के बाद संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को भेज दिया गया है। ऐसे में अब इस विधेयक को जेपीसी द्वारा पाश किया जाएगा। इस बिल को लेकर जेपीसी में 39 सदस्यों चुन लिया गया है। जिसमें 27 लोकसभा से सदस्य होंगे वहीं, 12 सदस्य राज्यसभा के होंगे। इसी बीच लोकसभा सदस्यों के नामों की सूची आ चुकी है। ऐसे में आइए जानते है कि, किन-किन सदस्यों को चुना गया है।
बता दें कि, जेपीसी में लोकसभा के जिन 27 सदस्यों को शामिल किया गया है। उनमें पीपी चौधरी, सीएम रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तम भाई रुपाला, अनुराग सिंह ठाकुर के ने नाम शामिल है। वहीं, विष्णु दयाल राम, भर्तृहरि महताब, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, बैजयंत पांडा, संजय जायसवाल के साथ ही प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, छोटेलाल, कल्याण बनर्जी, टीएम सेल्वागणपति को भी जेपीसी में शामिल किया गया है। जब कि, जीएम हिरश बालयोगी, अनिल यशवंत देसाई, सुप्रिया सुले, श्रीकांत एकनाथ शिंदे, शांभवी चौधरी, के राधाकृष्णन, चंदन चौहान और बी बल्लभनेनी भी जेपीसी के सदस्यों मौजूद रहेंगे। ये सभी वन नेशन, वन इलेक्शन से संबंदित संविधान संशोधन विधेयक की स्क्रूटनी करने के लिए गठित जेपीसी के सदस्य होंगे।
राज्यसभा से घनश्याम तिवाड़ी समेत ये 12 नाम
आज जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर उच्च सदन से 12 सदस्यों के नाम जेपीसी में प्रस्तावित किए। कानून मंत्री ने राज्यसभा से घनश्याम तिवारी, भुवनेश्वर कलिता, के लक्ष्मण, कविता पाटीदार, संजय कुमार झा, रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, साकेत गोखले, पी विल्सन, संजय सिंह, मानस रंजन मंगराज और वी विजय साई रेड्डी के नाम प्रस्तावित किए है। इसे उच्च सदन ने मंजूरी दे दी है।
क्या है जेपीसी की आगे की प्रोसेस?
सबसे पहले जेपीसी कमेटी बनाकर सभी दलों से सुझाव लिये जायेंगे। आख़िरकार यह बिल संसद में लाया जाएगा और पारित हो जाएगा। इससे पहले रामनाथ कोविंद की समिति ने एक देश, एक चुनाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जानकारी के अनुसार, सरकार इस विधेयक को लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की योजना बना रही है। जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की आवश्यकता पर जोर देगी। बता दें कि, अभी देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।
जानकारी के लिए बता दें कि, अभी देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है।