पापंकुशा एकादशी, हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से धन-संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और जीवन की सभी बाधाएं समाप्त होती हैं।
एकादशी का महत्व
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत अन्य व्रतों से श्रेष्ठ माना गया है। हर महीने, चंद्रमा के दो पक्षों में ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत मनाया जाता है। प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, किंतु हर एकादशी के पीछे एक विशेष महत्व होता है। अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापंकुशा एकादशी कहा जाता है, जो इस वर्ष 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त और व्रत पारण समय
एकादशी तिथि प्रारंभ: 15 अक्टूबर को शाम 06:02 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 16 अक्टूबर को शाम 05:37 बजे
द्वादशी तिथि समाप्ति: 17 अक्टूबर को शाम 05:39 बजे
पारण का समय: 06:23 बजे से 8:40 बजे तक
पापंकुशा एकादशी का महत्व
इस दिन का व्रत श्रद्धा और निष्ठा से करने पर पापों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे करने से व्यक्ति में सद्गुणों का विकास होता है और इसे कठोर तप के समान फल प्राप्त होता है।
पापंकुशा एकादशी 2024 पूजा विधि
1. दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले हल्का भोजन करें, क्योंकि उसके बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
2. एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
3. एक पाटे पर एक साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
4. पास में एक कलश में जल भरकर रखें।
5. धूप और दीप जलाकर भगवान विष्णु का तिलक करें।
6. फल-फूल आदि अर्पित करते हुए विधिपूर्वक पूजा करें।
7. एकादशी महात्म्य की कथा सुनें और फिर आरती करें।
8. द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करें।
इस प्रकार, पापंकुशा एकादशी का व्रत श्रद्धा और भक्ति से करने पर जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।