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Paush Masik Shivratri 2024: कब है साल का आखिरी शिवरात्रि का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भारत में हर महीने की शिवरात्रि का महत्व विशेष होता है।

Deepika Gupta
  • Dec 20 2024 11:25AM

भारत में हर महीने की शिवरात्रि का महत्व विशेष होता है। खासकर, पौष मास की शिवरात्रि (Paush Masik Shivratri) को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। यह व्रत साल की आखिरी शिवरात्रि होती है और हिन्दू धर्म में इसे बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। 2024 में पौष मास की शिवरात्रि 30 दिसंबर को पड़ रही है। तो जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शिवरात्रि का व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा, उपासना और तपस्या का दिन माना जाता है। शिवरात्रि के दिन भक्तों द्वारा उपवासी रहकर शिवलिंग का पूजन किया जाता है और रात्रि भर जागरण कर मंत्रोच्चारण किया जाता है। पौष मास की शिवरात्रि का व्रत विशेष रूप से पुण्य की प्राप्ति के लिए, मानसिक शांति के लिए और भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए किया जाता है।

शुभ मुहूर्त

मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 दिसंबर सुबह 3 बजकर 3 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 30 दिसंबर 2024 को सुबह 4 बजकर 1 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 29 दिसंबर को रखा जाएगा।

योग मंत्र: शिवरात्रि के व्रत के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। इनमें से एक प्रमुख मंत्र है: ॐ नमः शिवाय यह मंत्र अत्यधिक प्रभावी माना जाता है और इसे लगातार जाप करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा, "ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्तिर्मामृतात्।" मंत्र का जाप भी विशेष फलकारी होता है।

पूजा विधि

शिवलिंग का स्नान: पूजा की शुरुआत शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करके करें। साथ में गाय के दूध, शहद, दही, गंगाजल और चंदन का मिश्रण करें।
फूल और बेलपत्र चढ़ाएं: भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय होते हैं, अतः इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
धूप और दीपक लगाएं: शिवजी की पूजा में धूप, दीपक और अगरबत्ती लगाना चाहिए। यह वातावरण को शुद्ध करता है।
व्रत का पालन: शिवरात्रि के दिन उपवासी रहना और रात भर जागरण करना बहुत लाभकारी होता है। भजन-कीर्तन और शिव स्तुति का जाप करें।
भोग अर्पित करें: पूजा के बाद भगवान शिव को बेर, आंवला, और फल अर्पित करें।

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