उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 'हरिहर मंदिर' को तोड़ कर बनाई गई जामा मस्जिद को लेकर एक नया मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, जुमे की नमाज से पहले एक युवक वर्तमान मस्जिद के मुख्य गेट के सामने आकर पूजा करने की कोशिश करने लगा। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और थाने ले जाकर उससे पूछताछ की।
कथित मस्जिद के इतिहास को लेकर विवाद
कुछ समय पहले यह दावा किया गया कि जामा मस्जिद जिस स्थान पर स्थित है, वहां पहले एक मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया। इस दावे के बाद से मस्जिद को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है।
सर्वे के दौरान हिंसा की घटना
हाल ही में हिंदू पक्ष द्वारा किए गए दावों और कोर्ट के आदेश के बाद एक सर्वे टीम मस्जिद का मुआयना करने पहुंची थी। इस दौरान विवाद बढ़ गया और पत्थरबाजी की घटनाएं भी सामने आईं। पुलिस को स्थिति काबू करने के लिए फायरिंग करनी पड़ी, जिसके परिणामस्वरूप इलाके में पांच युवकों की मौत हो गई।
मुस्लिम पक्ष का बयान
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जामा मस्जिद को सूफी विचारक बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश ने अपनी यात्रा के दौरान बदायूं में बनवाया था। उनका कहना है कि इस स्थान पर कभी कोई मंदिर या मूर्ति नहीं थी, और जो दावे किए जा रहे हैं, वे पूरी तरह से गलत हैं और तथ्यों के विपरीत हैं।
ASI द्वारा मस्जिद में निर्माण कार्य का उल्लंघन
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी टीम को जामा मस्जिद में प्रवेश करने से रोका गया। एएसआई ने दावा किया कि 1920 से इस मस्जिद के संरक्षण का जिम्मा उनके पास है, लेकिन लंबे समय से उन्हें मस्जिद में प्रवेश करने से रोका जाता रहा है।
ASI ने बताया कि उन्होंने 1998 में मस्जिद का दौरा किया था, और सबसे आखिरी बार इस साल जून में मस्जिद का निरीक्षण किया गया। इस दौरान एएसआई ने मस्जिद में कुछ अतिरिक्त निर्माण कार्य देखे, जो प्राचीन इमारतों और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 का उल्लंघन करते थे। एएसआई ने इस मामले में जिम्मेदार लोगों को नोटिस भी जारी किया है।
संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद अब और गहरा गया है। मस्जिद के इतिहास से जुड़े विवाद, सर्वे के दौरान हुई हिंसा, और ASI द्वारा किए गए आरोपों ने इस मस्जिद को एक संवेदनशील मुद्दा बना दिया है।