इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर आज प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति ने कहा है कि यदि ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने का टेंडर निरस्त न किया गया तो अगले सप्ताह आन्दोलन तेज किया जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि संविदा कर्मियों को निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने हेतु बड़े पैमाने पर हटाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रबन्धन की योजना के तहत संविदा का कांट्रेक्ट समाप्त होने पर हर जगह 20 प्रतिशत छंटनी करने का आदेश है। इस तरह एक साल में ही संविदा कर्मियों की संख्या 40 प्रतिशत तक घटा दी जाएगी। संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 15236 नियमित और 27000 संविदा कर्मी हैं। इसी प्रकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 8582 नियमित कर्मचारी हैं और 23000 संविदा कर्मी हैं। इसके अतिरिक्त पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 853 अभियन्ता और 1241 जूनियर इंजीनियर कार्य कर रहे हैं। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 666 अभियन्ता और 913 जूनियर इंजीनियर कार्य कर रहे हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने हेतु लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों को हटाया जाना है। निजीकरण के बाद अन्य कर्मचारियों के 23818 पद समाप्त हो जाएंगे, जूनियर इंजीनियर संवर्ग के 2154 पद समाप्त हो जाएंगे और अभियन्ता संवर्ग के 1519 पद समाप्त होने जा रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रबंधन ने नियमित कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को बड़े पैमाने पर जबरिया सेवा निवृत्ति देने की योजना बनाई है।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि कर्मचारियों के बीच भय का वातावरण बनाकर निजीकरण करने की योजना कामयाब नहीं होने दी जाएगी। संघर्ष समिति व्यापक आन्दोलन की तैयारी कर रही है। आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, हरदुआगंज, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किए गए।