विश्व भर में शांति और सद्भावना के प्रतीक माने जाने वाले पोप फ्रांसिस के निधन की ख़बर से दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई है। इस दुखद क्षण पर आध्यात्मिक गुरु और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने गहरी संवेदना व्यक्त की है और उन्हें एक ‘मानवतावादी और धर्मों के बीच सेतु का प्रतीक’ बताया है।
श्री श्री ने अपने आधिकारिक संदेश में कहा,
"पोप फ्रांसिस मन, वचन और कर्म से आस्तिक थे। परंपरावादी होने के बावजूद अलग सोच रखते थे। वे सुधार के पक्षधर थे और विभिन्न धर्मों को मानने वालों के बीच बातचीत के प्रबल समर्थक थे। पर्यावरण को लेकर उनकी चिंता और मानव तस्करी के खिलाफ उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं।"
श्री श्री रविशंकर ने यह भी स्मरण कराया कि पोप फ्रांसिस ने ‘वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल’ के लिए नई दिल्ली और वॉशिंगटन डी.सी. में आर्ट ऑफ लिविंग को अपना समर्थन देते हुए न केवल सद्भावना संदेश भेजा, बल्कि अपने विशेष प्रतिनिधि को भी इस वैश्विक आयोजन में शामिल होने के लिए भेजा था। यह कदम धर्मों के बीच संवाद और आपसी समझ को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
श्री श्री रविशंकर ने अंत में कहा कि,
"उनकी विचारधारा और आह्वान आगे भी लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे। पोप फ्रांसिस का जीवन सार्वभौमिक करुणा, संवाद और सेवा का प्रतीक बनकर हमारे दिलों में जीवित रहेगा।"
पोप फ्रांसिस के योगदान को श्रद्धांजलि देते हुए विश्व समुदाय उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा ले रहा है। धर्म, परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाते हुए उन्होंने एक ऐसा अध्याय लिखा है, जिसे लंबे समय तक स्मरण किया जाएगा।