वैकुंठ एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इसे 'मुक्ति एकादशी' भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैकुंठ एकादशी का व्रत हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, और इसे विशेष रूप से भगवान विष्णु के चरणों में श्रद्धा रखने वाले भक्तों द्वारा रखा जाता है।
व्रत कथा के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ। मंथन से अमृत के साथ कई अद्भुत रत्न प्रकट हुए, जिनमें से एक 'वैकुंठ' नामक रत्न भी था। भगवान विष्णु ने इस रत्न को ग्रहण कर लिया और इसके प्रभाव से विष्णु लोक, जिसे 'वैकुंठ' कहा जाता है, अत्यंत पुण्यपूर्ण बन गया। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से भक्तों को वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है, और वे जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाते हैं।
वैकुंठ एकादशी का व्रत करने से विशेष रूप से भक्तों के सभी दुखों का नाश होता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन दिनभर उपवासी रहकर भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए और रात में विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस व्रत का पालन करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
व्रत करने का विधि बहुत सरल है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और उन्हें तुलसी के पत्तों के साथ अर्पित करें। फिर पूरे दिन निर्जल व्रत रखें और रात को भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही, श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत लाभकारी माना जाता है।
इस दिन विशेष रूप से व्रति अपनी आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। वैकुंठ एकादशी का व्रत करने से जीवन में सकारात्मकता का वास होता है, और भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।