विनायक चतुर्थी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे "गणेश चतुर्थी" भी कहा जाता है, जो भगवान गणेश की पूजा का पर्व है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा करके भक्तों को सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत कथा पढ़ना और उसका अनुसरण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
व्रत कथा
व्रत कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक शहर में एक ब्राह्मणी अपने परिवार के साथ बहुत ही गरीब थी। उसने कभी किसी से दीन-हीन होकर कुछ नहीं मांगा, परंतु उसके परिवार की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी। एक दिन वह अपनी कठिनाइयों से परेशान होकर किसी संत के पास गई और उनसे उपाय पूछा। संत ने उसे विनायक चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी। संत ने कहा कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
ब्राह्मणी ने संत की सलाह मानी और विनायक चतुर्थी के दिन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत किया। उसने घर में गणेश प्रतिमा स्थापित की, उसे पंचामृत से स्नान कराकर सुंदर पूजा-अर्चना की। व्रत के दौरान उसने विशेष रूप से सत्य बोलने, परस्त्री सम्मान और ब्राह्मणों का आदर करने का संकल्प लिया। पूजा के बाद उसने ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान किया। इस प्रकार उसने व्रत की विधिपूर्वक पूजा की और भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगा। कुछ ही दिनों में ब्राह्मणी के घर में अचानक बदलाव आ गया। उसका परिवार पहले की तुलना में बहुत समृद्ध हुआ, और उसकी जिंदगी में सुख और शांति का वास हुआ। उसके घर में लक्ष्मी का वास हुआ, और हर कार्य में सफलता मिलने लगी।
विनायक चतुर्थी के व्रत को रखने से न केवल आर्थिक समृद्धि मिलती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। साथ ही यह व्रत संतान सुख, स्वास्थ्य और जीवन की समस्त कठिनाइयों को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है। इस दिन का व्रत सौभाग्य की प्राप्ति का मार्ग खोलता है और भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की वर्षा होती है।