सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

Tirupati Laddu History: विवादों में घिरे 'तिरुपति लड्डू' का किसने किया आविष्कार... कितने हैं प्रकार, कैसे प्रतिद‍िन 8 लाख लड्डू किए जाते हैं तैयार?

आइए जानते हैं कौन हैं तिरुपति लड्डू 'किंग', कैसे तिरुपति बालाजी मंदिर में बनाया जाता है ये विशेष प्रसाद।

Ravi Rohan
  • Sep 22 2024 12:55PM

कुछ दिनों से विश्व प्रसिद्ध हिंदुओं के पवित्र मंदिर तिरूपति बालाजी सुर्खियों में है। आंध्र प्रदेश राज्य के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमाला में स्थित इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है।

 दरअसल, इस मंदिर में प्रसाद के रूप में एक खास तरह का लड्डू चढ़ाया जाता है। आइए जानते हैं क्यों विवादों का शिकार हुआ मुंह में पानी लाने वाला तिरुपति बालाजी मंदिर का स्वादिष्ट 'प्रसादम' लड्डू।

क्या है विवाद?

 हाल ही में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार के दौरान लड्डू बनाने के लिए पशुओं की चर्बी मिलाई जाती थी। विवाद बढ़ने के बाद लड्डू की जांच हुई जिसमें सीएम के दावे सच साबित हुए। इससे न सिर्फ वहां की राजनीति गरमा गई है, बल्कि दुनियाभर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को भी भारी ठेस पहुंची है। इन लड्डुओं को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटने के साथ-साथ भगवान को भी अर्पित किया जाता है।

 कहां तैयार होता है खास लड्डू?

यह लड्डू मंदिर की रसोई में बनाया जाता है। इस रसोई को 'पोटू' कहते है। बता दें कि इस लड्डू को जीआई टैग (भौगोलिक संकेत) भी मिल चुका है। ऐसे में इस लड्डू को बनाने का पेटेंट सिर्फ तिरुपति बालाजी मंदिर के पास है। सूचना के मुताबिक, यहां हर दिन 8 लाख से ज्यादा लड्डू तैयार किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण किए बिना तिरुपति बालाजी के दर्शन अधूरे हैं।

लड्डू के प्रकार

प्रोक्तम लड्डू- यह लड्डू आकार में छोटा होता है, जो मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को नियमित रूप से वितरित किया जाता है। एक लड्डू का वजन लगभग 40 ग्राम होता है। दर्शन पूरा करने और मंदिर से बाहर आने के बाद सभी को प्रसाद के रूप में ये लड्डू मुफ्त दिए जाते हैं।

अस्थानम लड्डू- यह लड्डू विशेष त्योहारों पर बनाया जाता है, इसका आकार प्रोक्तम लड्डू से थोड़ा बड़ा होता है। एक लड्डू का वजन 175 ग्राम है और कीमत 50 रुपये है। इसे बनाने में ज्यादातर बादाम, काजू और केसर का इस्तेमाल किया जाता है।

कल्याणोत्सवम लड्डू- ये लड्डू अर्जिता सेवा और कल्याणोत्सवम में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों को वितरित किए जाते हैं। इस लड्डू की सबसे ज्यादा डिमांड है। हालाँकि, यह अन्य लड्डुओं की तुलना में कम संख्या में बनाया जाता है। इस लड्डू की शेल्फ लाइफ 15 दिन है और ये सबसे महंगा भी है। एक लड्डू का वजन करीब 750 ग्राम है, जिसकी कीमत 200 रुपये है।

कैसे बनते हैं ये लड्डू?

इस खास लड्डू को बनाने के लिए पोटू रसोई में 600 से ज्यादा रसोइये काम करते हैं। इन लड्डुओं को एक खास विधि से बनाया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के सूखे मेवे जैसे काजू, बादाम, किशमिश, इलायची, मिश्री, बेसन, शुद्ध घी, दूध आदि मिलाया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लड्डू बनाने के लिए हर दिन 700 किलो काजू, 10 टन बेसन, 3 से 4 सौ लीटर घी, 10 टन चीनी, करीब 540 किलो किशमिश आदि की जरूरत होती है। 

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार