प्रयागराज में महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज (13 जनवरी) संगम तट पर धूमधाम से आयोजित हुआ, जिसमें लाखों तीर्थयात्री आस्था के साथ संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। इस बार महाकुंभ का आयोजन दुनिया भर में विशेष रूप से उत्सुकता का विषय बन गया है, क्योंकि यह हिन्दू धर्म का एक बहुत ही पवित्र पर्व है, जिसमें लाखों लोग अपने पापों का नाश करने के लिए गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम में स्नान करते हैं।
जानकारी के मुताबिक, पहले शाही स्नान के दिन लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई और अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास किया। इसके अलावा, विभिन्न अखाड़ों और संतों ने भी इस धार्मिक आयोजन में भाग लिया और भक्तों को आशीर्वाद दिया। तीर्थयात्रियों के लिए भव्य स्नान घाट तैयार किए गए हैं, जहां से श्रद्धालु श्रद्धा भाव से स्नान करते हुए पुण्य कमा रहे हैं।
महाकुंभ 2025 का आयोजन जनवरी के मध्य से लेकर फरवरी तक जारी रहेगा। इस दौरान कई अन्य शाही स्नान आयोजित किए जाएंगे, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं को कोविड-19 से बचाव के उपायों के प्रति सचेत किया है और मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने तथा हाथों की स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं। साथ ही, संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने के लिए ऊनी कपड़े, कम्बल और गर्म पेय पदार्थों की व्यवस्था भी की गई है। महाकुंभ के दौरान साधु-संतों के प्रवचन, धार्मिक अनुष्ठान और भव्य झांकियां भी भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
शाही स्नान का महत्व विशेष होता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से अक्कल ब्राह्मण, नागा साधु और आचार्यगण संगम में स्नान करते हैं। यह दिन धर्म, आस्था और एकता का प्रतीक होता है। महाकुंभ के पहले शाही स्नान के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और समुचित व्यवस्था के लिए भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है। इसके साथ ही संगम क्षेत्र में स्वच्छता, जल आपूर्ति और मेडिकल सुविधाओं का खास ख्याल रखा गया है। महाकुंभ 2025 एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के हिंदू धर्मावलंबियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है।