भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान बॉलीवुड के वरिष्ठ गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर ने सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी की। उनकी इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और लोकप्रिय सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हिमांशु जैन ने जावेद अख़्तर को “जय श्रीराम बोलो” कहने की सलाह दी।
लेकिन इस पर जावेद अख़्तर का जो रुख सामने आया, उसने पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है। अख़्तर ने अपनी प्रतिक्रिया में मर्यादा की सीमा लांघते हुए हिमांशु जैन को “तुम नीच हो” जैसी अमर्यादित टिप्पणी कर दी। इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया।
देशभक्तों में उबाल – क्या “जय श्रीराम” कहना अपराध है?
जावेद अख़्तर की इस टिप्पणी के बाद देशभर के सनातनी और राष्ट्रवादी संगठनों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगों का सवाल है कि क्या “जय श्रीराम” कहना इतना बड़ा अपराध हो गया कि उसे कहने वाले को नीच कहा जाए?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कभी कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने “नीच” कहा था, तो पूरा देश इस टिप्पणी के खिलाफ खड़ा हो गया था। आज वही टिप्पणी जब एक राष्ट्रवादी हिंदू कार्यकर्ता के खिलाफ की गई, तो तथाकथित राष्ट्रवादी मीडिया चुप क्यों है?
क्या यह एक PR एक्सरसाइज़ है?
इस पूरे मामले में एक और सवाल उठता है कि मीडिया का एक वर्ग हिमांशु जैन के खिलाफ क्यों खड़ा हो गया? क्या यह कोई PR एक्सरसाइज़ का हिस्सा है, जिसके तहत एक राष्ट्रवादी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है? या फिर बॉलीवुड और लिबरल गुटों का कोई सुनियोजित नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही है?
सोशल मीडिया पर उठी जावेद अख़्तर के बहिष्कार की मांग
सोशल मीडिया पर अब #BoycottJavedAkhtar और #IStandWithHimanshuJain जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। हजारों लोग जावेद अख़्तर के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
“जय श्रीराम” किसी भी हिंदू के लिए सिर्फ एक धार्मिक नारा ही नहीं, बल्कि आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। ऐसे में इस नारे को कहने वाले को नीचा दिखाना सीधे-सीधे हिंदू समाज का अपमान है।
बॉलीवुड का दोहरा चरित्र उजागर!
यह पहली बार नहीं है जब जावेद अख़्तर ने इस तरह का विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी वे **हिंदू मान्यताओं और राष्ट्रवादी विचारधारा पर कटाक्ष करते रहे हैं।