देश में जनजातीय समाज वाले बाहुल्य क्षेत्र में ईसाई मिशनरियां अक्सर धर्मांतरण का कुकृत्य करती नजर आती हैं. विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आते हैं, लेकिन इस बार आदिवासी बाहुल्य गांव दलदली में क्वांर नवरात्रि में विराजी दुर्गा मां ऐसे धर्मांतरण करने वाले शक्तियों पर लगातार प्रहार कर रही हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर स्थित है, गांव दलदली. जहां पहली बार मां दुर्गा विराजमान हुई हैं, मां दुर्गा को नवरात्र में स्थापित करने वाले जनजाति समाज के लोग इससे बेहद खुश हैं और वे मानते हैं कि इस आस्था से उनका जीवन लगातार बदल रहा है. इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों में मां दुर्गा की स्थापना होने से धर्मांतरण करने वाली शक्तियां भी ऐसे गांव में घुसने तक से डरती हैं.
दरअसल, सुदर्शन न्यूज़ की टीम ने ऐसे ही गांव पहुंचकर गांव के लोगों से बातचीत की और जानने का प्रयास किया कि आखिर पहली बार जनजातिय समाज के लोगों के द्वारा मां दुर्गा को विराजित करने के बाद किस तरह का माहौल गांव में बदला है. बता दें कि सुदर्शन न्यूज के छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ योगेश मिश्रा जब गांव पहुंचे तो लोगों में एक अलग उत्साह देखने को मिला है. तमाम आदिवासी समाज के लोग भक्ति में डूबे हुए थे और जय माता दी के जय कारे लगे रहे थे.
बता दें कि गांव में भक्ति का ऐसा माहौल था कि बूढ़े, जवान, महिला के साथ छोटे बच्चे भी आरती के थाल लेकर माता रानी को पूजते नजर आए है. पूरे क्षेत्र में काफी भक्ति माहौल है. पहली बार इस गांव से लेकर आस-पास के लोगों में भी सनातन संस्कृति एक अलग ही नजार देखने को मिल रहा है. लोगों ने बताया कि माता रानी के पूजा करने से सुख शांति और समृद्धि होती है.