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Guru Pradosh Vrat 2024: कल रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए शिव जी की कैसे करें पूजा, क्या है पारण की सही विधि

मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है।

Rashmi Singh
  • Nov 27 2024 1:03PM

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव का सबसे पसंदीदा त्योहार माना जाता है। प्रदोष व्रत के इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से लोगों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और जीवन में सुख और शांति आती है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। प्रदोष का अर्थ है शाम। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है और लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही प्रदोष व्रत करने से पापों का नाश होता है और प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख और शांति आती है। 

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर गुरुवार को सुबह 6:23 बजे से शुरू होकर 29 नवंबर शुक्रवार को सुबह 09:43 बजे शुरू होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 28 नवंबर, गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। 

मार्गशीर्ष प्रदोष व्रत के दिन सौभाग्य योग बन रहा है, जो 28 नवंबर को शाम 4:01 बजे तक रहेगा। इस दौरान चित्रा नक्षत्र का भी संयोग बनेगा। इस संयोग में शिव परिवार की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं और सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय 28 नवंबर को शाम 6:23 बजे से रात 8 बजे तक है। इस शुभ समय में शिव पूजा करने से व्रत का पूरा फल मिलेगा और हर मनोकामना पूरी होगी।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

पूजा स्थल को साफ करें और उसमें शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। 

गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें। 

घी का दीपक जलाकर भगवान शिव को अर्पित करें और उनकी पूजा करें।

भोलेनाथ की पूजा करते समय "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें। 

भगवान शिव को फूल, फल और अगरबत्ती चढ़ाएं और प्रदोष व्रत की कथा सुनें।

अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद परिवार के सदस्यों में बांट दें।

प्रदोष व्रत के दौरान व्रत रखना एक महत्वपूर्ण नियम है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इसे रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यह जानना भी जरूरी है

 प्रदोष व्रत में क्या खाएं

फल: आप विभिन्न प्रकार के फल जैसे सेब, केला, संतरा, अंगूर आदि खा सकते हैं।सब्जियां: उबली हुई या भाप में पकाई हुई सब्जियां जैसे कि शकरकंद, कद्दू, तोरी आदि खा सकते हैं।
सूखा फल: किशमिश, बादाम, काजू आदि सूखा फल भी खा सकते हैं.
दूध: आप दूध या दही का सेवन कर सकते हैं।
फलों का जूस: ताज़े फलों का जूस भी पी सकते हैं। 
कुट्टू का आटा: कुट्टू के आटे से बना खिचड़ी या पकौड़े खा सकते हैं.
साबूदाना: साबूदाने की खीर या उपमा बनाकर खा सकते हैं। 

प्रदोष व्रत के दिन क्या करें
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र हो जाएं और भगवान शिव की पूजा करें। 

गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें। 

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। 

शिव पुराण का पाठ करने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव को अर्पित करें।

पूरे दिन व्रत रखें या फलाहार करें।

शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव के दर्शन करें।

अपनी क्षमता के अनुसार दान करें। 

पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें। 

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