उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में आयोजित चार दिवसीय रामायण मेले का उद्घाटन करते हुए बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व देश में भी समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के साथ हो रहा है। ऐसे लोग विदेशों में संपत्ति खरीद कर रखते हैं ताकि संकट के समय वहां भाग सकें।
भगवान श्रीराम के सामाजिक समरसता के विचार
मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीराम के योगदान को याद करते हुए कहा कि, उन्होंने उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत को एकजुट किया था। भगवान श्रीराम ने समाज को जोड़ने का काम किया और राष्ट्र की एकता को मजबूत किया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीराम ने सुग्रीव और विभीषण को राज्याभिषेक दिया, जो उनके सामूहिक कल्याण और समाज के प्रति सोच का प्रतीक है।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि अगर समाज में एकता बनी रहती तो भारत कभी गुलाम नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ लोग जाति और समाज के नाम पर देश में ताने-बाने को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
अयोध्या में 500 साल पुराना इतिहास
मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में 500 साल पहले बाबर के सिपेहसालार ने जो काम किया था, वही अब संभल सहित बांग्लादेश और अन्य देशों में हो रहा है। इन घटनाओं का उद्देश्य समाज की एकता को तोड़ना और उसे बांटना है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह लोग दुनिया के विभिन्न देशों में संपत्ति खरीद कर रखते हैं, ताकि संकट के समय वे वहां भाग सकें और देश में संघर्ष जारी रहे।
रामायण मेले का उद्घाटन और कार्यक्रम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार सुबह अयोध्या पहुंचे और रामकथा पार्क में हेलीपैड पर उतरने के बाद रामायण मेले का उद्घाटन किया। इसके बाद उन्होंने हनुमानगढ़ी और रामलला के दरबार में दर्शन किए। साथ ही श्रीराम मंदिर निर्माण की प्रगति का भी जायजा लिया।
रामायण मेले की परिकल्पना
रामायण मेले की शुरुआत 1982 में प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने की थी। इस वर्ष के मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना है, जिसमें रामलीला, पखावज वादन, लोक गायन, नृत्य नाटिका जैसी प्रस्तुतियां शामिल हैं। मेले में 20 से अधिक कलाकार हिस्सा लेंगे।
रामायण मेले का आकर्षण
रामायण मेले के चार दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण इस प्रकार है:
- 5 दिसंबर: रामलीला (हरे रामदास, अयोध्या), पखावज वादन, भजन गायन
- 6 दिसंबर: लोक गायन और नृत्य नाटिका (संजोली पांडेय, क्षमा वर्मा)
- 7 दिसंबर: भजन गायन (वीरेंद्र सिंघल), लोक गायन, नृत्य नाटिका
- 8 दिसंबर: जादू प्रस्तुति, भजन गायन (मगन मिश्रा), नृत्य नाटिका