सकट चौथ, जिसे माघ शुक्ल चौथ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो विशेष रूप से महिलाएं अपने बच्चों की भलाई और परिवार की खुशहाली के लिए करती हैं। इस दिन गोधन की पूजा और व्रत का महत्व है, जिसे हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है। इस साल (2024) सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी, शनिवार को रखा जाएगा।
कब है सकट चौथ?
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। इसके साथ ही इस तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस प्रकार उदया तिथि के अनुसार, सकट चौथ का व्रत शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 को किया जाएगा।
पूजा विधि
सकट चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। पूजा की शुरुआत गणेश जी के चित्र या मूर्ति को स्वच्छ करके, उन्हें लाल फूलों और चंदन से सजाकर की जाती है। साथ ही, महिलाएं पूजा स्थल पर कुछ मिठाइयां, खासकर मोदक, रखती हैं क्योंकि यह भगवान गणेश की प्रिय वस्तु है।
पूजा के दौरान महिलाएं संतान सुख, परिवार की सुख-शांति और खुशहाली की कामना करती हैं। इस दिन विशेष रूप से गाय, बैल, बकरी या अन्य पालतू जानवरों की पूजा की जाती है। इसके बाद व्रति दिनभर उपवासी रहती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन करके व्रत का समापन करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रति अपना व्रत खोलती हैं।
सकट चौथ का महत्व
सकट चौथ का महत्व विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति और स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा भक्तों की इच्छाओं को पूरी करती हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा से विघ्नों का नाश होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा, इस दिन माता-पिता और बच्चों के बीच के संबंध मजबूत होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। सकट चौथ का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक पारंपरिक अवसर भी है जो परिवार को एकजुट करता है और सच्चे आस्था और विश्वास के साथ पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है।