दिल्ली के सीलमपुर इलाके से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां एक मुस्लिम महिला रहीमा ने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया और दीपक नाम के युवक से शादी की है। बरेली पहुंचकर उसने मंदिर में विधिवत हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया और अब वह ‘रिद्धि’ के नाम से पहचानी जाएगी। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब रहीमा ने हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद गर्व से ‘जय श्री राम’ का उद्घोष किया।
रिद्धि ने की घर वापसी
रिद्धि (रहीमा) और दीपक की मुलाकात दिल्ली की एक सिलाई फैक्ट्री में हुई थी, जहां दोनों एक साथ काम करते थे। करीब दो साल पहले हुई दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। लेकिन जैसे ही रहीमा के परिवार को इस रिश्ते का पता चला, उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और उसे दीपक से दूर रहने की सलाह दी। रिद्धि को जब यह एहसास हुआ कि उसके परिवार वाले उसे किसी और के साथ शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, तो उसने साहसिक निर्णय लिया और दीपक के साथ घर छोड़ने का फैसला किया।
बरेली में हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय
रिद्धि और दीपक दिल्ली से बरेली पहुंचे, जहां उन्होंने एक मंदिर में हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया। मंदिर के महंत ने उन्हें हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह संपन्न कराया। इस दौरान दीपक ने रिद्धि (रहीमा) की मांग में सिंदूर भरा और उसे मंगलसूत्र पहनाया। रिद्धि ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद कहा, “मैं अपनी मर्जी से सनातन धर्म अपना रही हूं। मुझे यहां वह प्यार और सम्मान मिला, जिसकी मैं हकदार थी। अब मैं पूरी तरह से हिंदू हूं, मेरा नया नाम रिद्धि है और मैं अपने पति के साथ खुश हूं।”
रिद्धि के परिवार ने इस शादी का कड़ा विरोध किया और लड़की पर दबाव डालने की कोशिश की। हालांकि, रिद्धि ने अपनी मर्जी से जीने का अधिकार महसूस करते हुए साहसिक कदम उठाया। उसने कहा, “इस्लाम में महिलाओं को हमेशा दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है। मुझे वहां अपने जीवन के फैसले लेने की आजादी नहीं थी। जब मैंने दीपक से शादी का निर्णय लिया, तो मेरे परिवार ने मुझे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसलिए मैंने तय किया कि मैं सनातन धर्म अपनाऊं और एक नए जीवन की शुरुआत करूंगी।”
'जय श्री राम' के साथ नए जीवन की शुरुआत
रिद्धि ने सनातन धर्म अपनाने के बाद पहला शब्द ‘जय श्री राम’ बोला। उसने कहा, “हिंदू धर्म मुझे पूरी स्वतंत्रता देता है। यहां कोई मुझ पर दबाव नहीं डालता कि मैं क्या पहनूं, क्या खाऊं या किससे शादी करूं। मैं खुश हूं कि मुझे अपनी मर्जी से धर्म और जीवन साथी चुनने की स्वतंत्रता मिली।” रिद्धि ने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि, “किसी भी लड़की को उसके परिवार या समाज के दबाव में नहीं जीना चाहिए। हर किसी को अपनी मर्जी से धर्म चुनने और अपने जीवनसाथी के साथ रहने का अधिकार होना चाहिए।”