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Chaitra Darsh Amavasya 2025: कब है दर्श अमावस्या, जानें क्या करें और क्या न करें

2025 में चैत्र माह की दर्श अमावस्या (Chaitra Darsh Amavasya) 28 मार्च को पड़ने वाली है।

Deepika Gupta
  • Mar 27 2025 11:06AM

2025 में चैत्र माह की दर्श अमावस्या (Chaitra Darsh Amavasya) 28 मार्च को पड़ने वाली है। यह तिथि हिंदू कैलेंडर के अनुसार विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह व्रत और पूजा का समय होता है, जब भक्तगण अपने पापों से मुक्ति पाने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। तो जानिए  क्या करें और क्या न करें। 

कब है दर्श अमावस्या

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में दर्श अमावस्या 29 मार्च को ही मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने से आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

क्या करें और क्या न करें?

चैत्र दर्श अमावस्या के दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। इस दिन को लेकर कुछ विशेष पूजा विधि और कर्म भी होते हैं:

उपवास रखें: उपवास रखने से आत्मिक शांति मिलती है और पापों का नाश होता है।

तर्पण और पितरों के लिए पूजा करें: इस दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है।

भगवान शिव की पूजा करें: इस दिन भगवान शिव की पूजा, अभिषेक और रुद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

गायत्री मंत्र का जाप करें: मानसिक शांति और सकारात्मकता के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।

इस दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए जैसे झगड़ा-झंझट से दूर रहना, गलत कार्यों से दूर रहकर पुण्य कार्यों में संलग्न होना।

चैत्र माह और अमावस्या का महत्व

अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन पितरों के श्राद्ध, तर्पण और विशेष पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। अमावस्या के दिन शनि, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति को भी विशेष रूप से देखा जाता है। चैत्र माह की अमावस्या पितरों के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। इसे विशेष रूप से 'पितृ अमावस्या' या 'महालय अमावस्या' भी कहा जाता है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।

चैत्र दर्श अमावस्या का महत्व

चैत्र माह की अमावस्या पर विशेष रूप से यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कर्मों का अत्यधिक फल मिलता है। यह दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने के लिए आदर्श होता है। विशेष रूप से इस दिन शिव पूजा, हनुमान पूजा और गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन गंगा स्नान और पुण्य कार्य करने से दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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