छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगट्टा की कठिन पहाड़ियों में पिछले पांच दिनों से चल रहे सुरक्षाबलों के बड़े ऑपरेशन ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है। 45 डिग्री तापमान के बीच लगातार प्रयासों के बाद जवान नक्सलियों के एक गुप्त अड्डे तक पहुंचने में सफल रहे। हालांकि, जवानों के पहुंचने से पहले ही नक्सली वहां से निकल चुके थे, लेकिन मौके से उनकी मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं।
जवानों को कर्रेगट्टा की ऊंची पहाड़ियों के बीच एक विशाल प्राकृतिक गुफा मिली है, जो इतनी बड़ी है कि उसमें हजार से ज्यादा लोग कई दिन तक छिप सकते थे। गुफा के भीतर पानी के स्रोत और आराम की सुविधाएं भी मौजूद हैं। इसके अलावा, गुफा के भीतर एक बड़ा खुला मैदान भी मिला है। अब इस गुफा पर सुरक्षाबलों का पूरा कब्जा हो चुका है।
सुरक्षा बलों द्वारा कर्रेगट्टा क्षेत्र को चारों तरफ से घेर लिया गया है। विश्लेषकों के अनुसार, अब पहाड़ी की ऊंचाई पर फंसे माओवादियों के पास दो ही रास्ते बचे हैं, या तो आत्मसमर्पण करें या भूख और प्यास से दम तोड़ें। पहाड़ी से नीचे उतरने का कोई सुरक्षित मार्ग नहीं बचा है और न ही भोजन और पानी का प्रबंध है।
सुरक्षाबलों ने कर्रेगट्टा पहाड़ियों में अस्थाई कैंप स्थापित कर लिए हैं ताकि ऑपरेशन को मजबूती मिले और नक्सलियों के लिए भागने का कोई रास्ता न बचे। सेना का मकसद इस बार नक्सलियों को पूरी तरह से पकड़ना और इलाके को नक्सल गतिविधियों से मुक्त कराना है।