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Parshuram Jayanti 2025: कब मनाई जाएगी परशुराम जंयती? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा के लाभ

परशुराम जयंती 2025: परशुराम जयंती कब मनाई जाएगी? जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा के लाभ

Rashmi Singh
  • Apr 27 2025 4:23PM

परशुराम जयंती सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसका पालन हर साल बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है। भगवान परशुराम, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है, धर्म, शास्त्र और शस्त्र की पूजा के प्रतीक माने जाते हैं। उनकी जन्म कथा के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के घर हुआ था। उन्हें चिरंजीवी भी माना जाता है और उनकी पूजा का महत्व पूरे हिंदू समाज में देखा जाता है। इस दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार परशुराम जयंती 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।

परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 31 मिनट से आरंभ होगा और 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। यह समय विशेष रूप से पूजा और व्रत के लिए अनुकूल माना जाता है।

भगवान परशुराम की पूजा क्यों नहीं है इतनी प्रचलित?

हालांकि भगवान परशुराम का जन्म भगवान विष्णु के अवतार के रूप में हुआ था, फिर भी उनकी पूजा अन्य अवतारों के मुकाबले अधिक प्रचलित नहीं है। इसके पीछे कुछ कारण माने जाते हैं:

क्षत्रिय विरोधी छवि: भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु जैसे अधर्मी क्षत्रियों का संहार किया था, जिससे कुछ समुदाय उन्हें क्रोधी और राक्षसी मानते हैं। यह छवि उनकी भक्ति में कमी का कारण बनी।

सन्यासी स्वरूप: भगवान परशुराम एक योद्धा-ऋषि थे, जिनका ध्यान मुख्य रूप से तपस्या, शास्त्र और धर्म की रक्षा पर था। उनका पारिवारिक या सामाजिक जीवन नहीं था, जिससे भक्तों से उनका जुड़ाव कम हुआ।

क्षेत्रीय भक्ति: भगवान परशुराम की पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारत और कुछ ब्राह्मण समुदायों में होती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में राम और कृष्ण की पूजा अधिक प्रचलित है।

पौराणिक कथा: यह मान्यता है कि परशुराम अमर हैं और कलियुग के अंत में कल्कि अवतार को प्रशिक्षित करेंगे। इस कारण उनकी पूजा भविष्य से जुड़ी हुई मानी जाती है, जो अन्य अवतारों से भिन्न है।

परशुराम जयंती का महत्व और पूजा के लाभ

परशुराम जयंती का दिन धर्म, शास्त्र और शस्त्र की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से व्रत और पूजा करने से साहस, शक्ति और शांति प्राप्त होती है। साथ ही, नि:संतान दंपत्तियों के लिए यह व्रत संतान प्राप्ति में लाभकारी होता है। दान पुण्य का भी विशेष महत्व है, जो मोक्ष और समृद्धि का मार्ग खोलता है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर मिलता है।

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