भोपाल से इंदौर जा रही एक पैसेंजर ट्रेन में हड़कंप मच गया जब एक छात्र कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की रील्स देख रहा था और मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों ने उस पर हमला बोल दिया। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो देश भक्ति से जुड़ा कंटेन्ट देख रहा था।
मामला मध्यप्रदेश के शुजालपुर का है, जहां 23 वर्षीय हिन्दू छात्र जब जनरल कोच में यात्रा कर रहा था, तो मोबाइल पर देशभक्ति से ओतप्रोत रील्स देख रहा था। तभी वहां मौजूद करीब 10 मुस्लिम युवक और महिलाएं भड़क गए। उन्होंने रील देखने पर आपत्ति जताई और छात्र को घेर लिया।
छात्र ने साफ शब्दों में कहा कि "यह कोई आपत्तिजनक कंटेंट नहीं, बल्कि मेरी देशभक्ति है।" लेकिन इस पर उन कट्टरपंथियों ने जवाब दिया- "देशभक्ति दिखानी है तो ट्रेन के बाहर जाकर दिखाओ!" इसके बाद आरोपियों ने छात्र को घसीट कर पीटना शुरू कर दिया, जान से मारने और काट डालने की धमकी दी, और यहां तक कह दिया कि उसे चलती ट्रेन से फेंक देंगे।
पुलिस ने दिखाई बेरुखी, FIR तक दर्ज नहीं की
इस शर्मनाक घटना के बाद जब पीड़ित छात्र सुबह-सुबह शुजालपुर जीआरपी थाने पहुंचा, तो उसे वहां भी न्याय नहीं मिला। ड्यूटी पर मौजूद सब-इंस्पेक्टर ने सिर्फ एक लिखित आवेदन लिया और टरका दिया। मेडिकल परीक्षण तो करवा लिया गया लेकिन एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया गया।
टीआई रश्मि पाटीदार ने उल्टे पीड़ित पर ही सवाल उठाते हुए कह दिया कि छात्र “बात को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है”। सवाल ये उठता है कि क्या अब भारत में देशभक्ति जताना भी अपराध है? और क्या पीड़ित को न्याय की जगह अपमान मिलेगा?
कश्मीर में आतंकियों का हमला और यहां ट्रेनों में राष्ट्रभक्तों पर हमला- क्या ये संयोग है? या योजनाबद्ध जहरीली सोच का परिणाम? क्या अब देश के युवाओं को देशभक्ति दिखाने से पहले धर्म पूछना होगा? सरकार और प्रशासन को इसका सख्त संज्ञान लेना होगा। अन्यथा यह आग पूरे देश में फैल सकती है। क्या ट्रेन, सड़क या सोशल मीडिया पर देशभक्ति जताना अब 'धार्मिक असहिष्णुता' की भेंट चढ़ेगा?