बिहार की राजधानी पटना में बीपीएससी (BPSC) की परीक्षा के खिलाफ छात्रों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। दरअसल, पिछले 12 दिनों से छात्र बीपीएससी परीक्षा को रद्द कर दोबारा कराने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान रविवार, 29 दिसंबर 2024 को भी प्रदर्शनकारियों ने जेपी गोलंबर चौक पर एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने उन्हें बर्बरता से हटाने के लिए लाठीचार्ज किया और बाद में उन्हें कड़ाके की ठंड में वाटर कैनन से भी पानी की बौछारें की।
बीपीएससी छात्रों का प्रदर्शन तेज
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित परीक्षा में गड़बड़ी और अनियमितताएं पाई गई हैं, जिससे उनकी भविष्यवाणी को खतरा हो गया है। इसके खिलाफ वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं। छात्र-छात्राओं का कहना है कि परीक्षा की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी रही, जिससे कई योग्य उम्मीदवारों का हक मारा गया।
बता दें कि पुलिस की कार्रवाई ने प्रदर्शनकारियों को और उकसाया। बताया जा रहा है कि पुलिस छात्रों पर बर्बर तरीके से लाठियां बरसा रही है। इस मामले ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। कई घायल छात्र उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हुए हैं, जबकि कुछ छात्रों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। इस दौरान कई छात्रों ने पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाई और न्याय की मांग की।
बीपीएससी परीक्षा के खिलाफ छात्रों का यह विरोध अब राजनीतिक रूप लेता हुआ नजर आ रहा है। छात्रों के समर्थन में विभिन्न राजनीतिक दल भी उतर आए हैं। विपक्षी पार्टियां और छात्र संगठन सरकार से बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने और नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक दलों ने सोमवार, 30 दिसंबर 2024 को बिहार बंद और चक्का जाम का ऐलान किया है, जिससे राज्यभर में व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला किया दर्ज
पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बाद, प्रशासन ने 21 नामजद और 600-700 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने बिना अनुमति के जुलूस निकाला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिस कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। पुलिस ने यह भी कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक गंभीर सवाल उठाया है कि क्या बिहार सरकार और बीपीएससी परीक्षा आयोग छात्रों की जायज मांगों को नजरअंदाज कर रहे हैं? क्या यह सरकार की नाकामी का प्रतीक है कि छात्रों को अपनी आवाज़ उठाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है? छात्रों का यह विरोध अब केवल परीक्षा को रद्द करने तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य सरकार और प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल उठा रहा है।
राज्यभर में छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और उनके आंदोलन को अब राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है, जिससे यह मुद्दा राज्य की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। छात्रों की मांग अब और तीव्र हो गई है, और वे बीपीएससी परीक्षा को रद्द कर नए सिरे से परीक्षा कराने के लिए तैयार हैं। इस पूरे मामले में आगे की स्थिति और प्रशासन की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
छात्रों की प्रमुख मांगें
बीपीएससी की परीक्षा रद्द कर दोबारा आयोजित की जाए।
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए। इसका गणितीय मॉडल सार्वजनिक करने की माँग भी की गई है।
छात्रों पर लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
पेपर लीक के दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।