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19 दिसम्बर को पूरे देश में मनाया जाएगा "शहीदों के सपनों का भारत बनाओ-बिजली का निजीकरण हटाओ" दिवस

देश के अन्य प्रान्तों के बिजली कर्मियों के साथ 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी सभी जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में “शहीदों के सपनों का भारत बनाओ - बिजली का निजीकरण हटाओ“ दिवस मनाएंगे।

Rajat Mishra
  • Dec 18 2024 9:32PM

इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ

       
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए बयान कि निजीकरण का पीपीपी मॉडल इसलिए जरूरी है क्योंकि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरक तत्व (Motivation) नहीं है, संघर्ष समिति ने कहा कि बिना प्रेरक तत्व के देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान स्थापित कर बिजली कर्मियों ने प्रतिमान परिवर्तन (Paradigm Change) कर दिखाया है। 
 
देश के अन्य प्रान्तों के बिजली कर्मियों के साथ 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी सभी जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में “शहीदों के सपनों का भारत बनाओ - बिजली का निजीकरण हटाओ“ दिवस मनाएंगे। 19 दिसम्बर को काकोरी क्रान्ति के अमर शहीदों के बलिदान दिवस पर पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी के चित्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित कर लगभग 27 लाख बिजली कर्मचारी पूरे देश में “शहीदों के सपनों का भारत बनाओ - बिजली का निजीकरण हटाओ“ दिवस मनाएंगे। उप्र के सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर सायं 05 बजे के बाद सभाएं की जाएंगी जिसमें पॉवर कारपोरेशन को निजीकरण से बचाने हेतु शहीदों के चित्र के सामने शपथ ली जाएगी। 
 
राजधानी लखनऊ में इस अवसर पर राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में विशाल सभा के साथ “शहीदों के सपनों का भारत बनाओ - बिजली का निजीकरण हटाओ“ विषय पर एक नाट्य प्रस्तुति भी की जाएगी। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने कहा कि माननीय ऊर्जा मंत्री ने कल यह वक्तव्य दिया है कि उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बिजली का निजीकरण किया जाना इसलिए आवश्यक हो गया क्योंकि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरक तत्व (Motivation) नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि माननीय ऊर्जा मंत्री ने अपने बयान में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में बिजली के क्षेत्र में प्रतिमान परिवर्तन (Paradigm Change) हुआ है और मौजूदा सरकार के समय में देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति 30618 मेगावॉट का रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के सहयोग से बनाया गया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि कोई प्रेरक तत्व ही नहीं था तो बिजली कर्मियों ने योगी सरकार में यह प्रतिमान परिवर्तन कर दिया। यदि सरकार और प्रबन्धन से मोटीवेशन मिलता है तो उप्र के बिजली कर्मी और भी बड़ा कीर्तिमान स्थापित करने में सक्षम हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिए गए गलत और झूठे आंकड़ों के आधार पर बिजली का निजीकरण किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऊर्जा मंत्री को पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिए गए आंकड़ों की जांच करनी चाहिए।
       
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि ऊर्जा मंत्री द्वारा पीपीपी मॉडल पर बिजली का निजीकरण किए जाने का वक्तव्य, 6 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कैबिनेट सब कमेटी जिसमें वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी थे के साथ हुए लिखित समझौते का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में जो भी सुधार किया जाएगा वह मौजूदा ढांचे में ही बिजली कर्मियों को विश्वास में लेकर किया जाएगा। इस समझौते में यह भी कहा गया है कि, उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं पर भी किसी भी प्रकार का बिजली का निजीकरण, बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए बिना नहीं किया जाएगा। अब यह पी पी पी मॉडल साफ तौर पर इस समझौते का खुला उल्लंघन है। इससे प्रदेश की बिजली व्यवस्था में उत्तरोत्तर सुधार में लगे बिजली कर्मियों में अविश्वास का वातावरण उत्पन्न हो रहा है।
       
संघर्ष समिति ने एक बार फिर कहा है कि बिजली के क्षेत्र में निजीकरण का पी पी मॉडल उड़ीसा और दिल्ली में पहले ही विफल हो चुका है। उड़ीसा में इसी पी पी मॉडल के तहत 1998 में निजीकरण किया गया था। फरवरी 2015 में उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने निजीकरण को पूरी तरह विफल प्रयोग मानते हुए रिलायंस पावर के सभी तीनों लाइसेंस रद्द कर दिए थे। वर्ष 2015 से 2020 तक उड़ीसा की चारों कंपनियों का प्रशासन नियामक आयोग के पास रहा और इस दौरान सरकारी क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुआ। तभी एक बार फिर टाटा पावर को चारों कंपनियों दे दी गईं। चूंकि पांच वर्ष में सरकारी नियंत्रण में पहले ही काफी सुधार हो चुका था और सरकार ने सिस्टम सुधार हेतु अरबों रूपये भी खर्च कर दिए हैं। अतः टाटा पावर को अब बिना कोई निवेश किए अच्छा सिस्टम मिल गया है। उप्र में भी आर डी एस एस स्कीम के तहत हजारों करोड़ रु खर्च करने के बाद जब तेजी से सुधार हो रहा है तब पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को निजी घरानों को सौंपने का क्या मतलब है?

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