भारत, मध्यप्रदेश
भोपाल
टीचर्स को स्ट्रेस और डिप्रेशन से बचाने के लिए उमंग हेल्पलाइन टैक्नोफ्रेंडली बनाने के लिए प्रशिक्षण दे रही है। उनकी काउंसलिंग भी हो रही है, ताकि वे सहज रहकर बच्चों को पढ़ा सके। कोरोना संक्रमण के चलते शिक्षक और छात्र दोनों ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से संपर्क में हैं। डिवाइस के जरिए क्लास को पढ़ाना सुनने में जितना आसान लगता है, दरअसल यह उतना आसान है नहीं। टैक्नोफ्रेंडली न होने की वजह से ऑनलाइन क्लास में टीचर्स कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
स्थिति यह है कि कई शिक्षक तनाव और अवसाद के शिकार हो रहे हैं। इसके चलते स्कूल शिक्षा विभाग ने नोडल एजेंसी उमंग हेल्पलाइन के माध्यम से मेंटल हेल्थ प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें पहले चरण में भोपाल संभाग के 2,336 टीचर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है। भोपाल में 835 टीचर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है। भोपाल में 1300 सरकारी स्कूल हैं। वहीं प्राइवेट स्कूलों की संख्या 1200 के आसपास है।
डिजिटल सिस्टम के आदी नहीं होने के कारण रोज ऑन लाइन क्लास के लिए खुद को मानसिक रुप से तैयार करना पड़ता हैं।ऑनलाइन क्लासेस के दौरान आत्मविश्वास महसूस नहीं कर पा रहे हैं।बच्चे भी स्क्रीन पर होने का कारण न तो उनकी बात मान रहे हैं और न ही शिष्टाचार अपना रहे हैं।कुछ बहाने बनाकर क्लासेस से बचने की कोशिश करते हैं।ऑनलाइन क्लास में अजीब और नेगेटिव माहौल बन जाता है जिससे वे तनाव में आ जाते हैं ऑनलाइन क्लास में बच्चे कम पैरेंट भी आकर बच्चों के साथ बैठ जाते हैं जिससे उन्हें परेशानी होती है।कई बार बच्चा तो सवाल नहीं पूछता, पेरेंटस ही सवाल करने लगते है, जिससे क्लास के दूसरे बच्चे डिस्टर्ब होते हैं। कार्यशाला में पूरे प्रदेश से पहले चरण में 23,860 टीचर्स रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। प्रदेश में 3 लाख 21 हजार टीचर्स हैं।