वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने सोमवार को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बजट (Budget) में कम आवंटन के सवालों पर कहा कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र मुख्य रूप से राज्यों का दायित्व है. उल्लेखनीय है कि बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1.3 फीसदी के बराबर है.
सोमनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य ढांचे पर खर्च करती है. इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पर भी खर्च कर रही है, जिससे समाज के कमजोर तबके के लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं. वित्त वर्ष 2022-23 के बजट प्रस्तावों के मुताबिक, सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर 83,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. यह वित्त वर्ष 2021-22 के बराबर है. हालांकि, देश में कोविड-19 महामारी अभी कायम है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-बाद परिचर्चा में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष टी वी नरेंद्रन ने कहा था कि स्वास्थ्य सेवा पर खर्च हालांकि बढ़ा है और यह जीडीपी के 1.3 फीसदी के बराबर है. लेकिन ऐसी उम्मीद थी कि सरकार स्वास्थ्य पर खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का तीन फीसदी के बराबर करेगी.
सोमनाथन ने आगे कहा कि इन आंकड़ों को इस दृष्टि से देखा जाना चाहिए कि स्वास्थ्य राज्यों की जिम्मेदारी होती है. सोमनाथन ने आगे कहा कि महामारी के बाद सरकार ने आपात ऋण गारंटी योजना की घोषणा की थी. इस योजना के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को 50,000 करोड़ रुपये की ऋण आपूर्ति हो सकती है. उन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र से कहा कि वह इस योजना का पूरा फायदा उठाएं.