50 साल बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को ढाका में पुनर्निर्मित ऐतिहासिक श्री रमना काली मंदिर का उद्घाटन कर मंदिर में फिर से जान डाल दी है। ये वहीँ जगह जहाँ पाकिस्तानियों ने 1971 में ध्वस्त कर दिया था। इसके साथ ही ये पाकिस्तानी सेनाओं ने सैकड़ों हिन्दुओं की निर्मम हत्या कर दी थी। बता दें कि मंदिर उद्घाटन के दौरान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की पत्नी भी मौजूद थीं। इस मौके पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इसे दोनों देशों के लिए भावनात्मक क्षण करार दिया।
दरअसल, राष्ट्रपति कोविंद 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने के लिए अपने समकक्ष एम अब्दुल हामिद के निमंत्रण पर अपनी पहली राजकीय यात्रा पर बांग्लादेश में हैं। ज्ञात हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर बुधवार
(15 दिसंबर) को बांग्लादेश के लिए रवाना हुए थे। वे वहाँ 50वें विजय दिवस
समारोह में शामिल होने गए थे। इस राजकीय यात्रा के लिए उन्हें उनके समकक्ष
अब्दुल हामिद ने निमंत्रण दिया था।
वही, विदेश सचिव हर्वर्धन श्रृंगला ने 50 साल बाद मिली इस उपलब्धि को भावनात्मक क्षण बताया है। श्रृंगला ने कहा कि 17 दिसंबर को राष्ट्रपति कोविंद पुनर्निर्मित श्री रमना काली मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जिसे 1971 में जघन्य 'ऑपरेशन सर्चलाइट' के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था। यह पुनर्निर्मित रमना काली मंदिर सिर्फ प्रतीकात्मक ही नहीं है, बल्कि यह हम दोनों देशों के लिए एक बहुत ही भावनात्मक क्षण है।
मिली रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति कोविंद ने भी मंदिर समिति के सदस्यों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने में अपनी रुचि जताई। मंदिर को 1971 में पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन कोडनेम 'ऑपरेशन सर्चलाइट' में पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर में आग लगा दी गई थी, जिसमें भक्तों और उसमें रहने वाले लोगों सहित कई लोग मारे गए थे।
ये है ढाका स्थित काली बारी मंदिर का इतिहास :-
आपको बता दें कि ढाका में स्थित काली बारी मंदिर वही जगह है जिसे पाकिस्तानी सेना ने 1971 में ध्वस्त कर दिया था।
उस दौरान पाकिस्तानी सेना ने मंदिर में सैंकड़ों हिंदुओं की हत्या की थी।
ये हत्याएँ ऑपरेशन सर्चलाइट के तहत की गई थीं। इस ऑपरेशन में हिंदुओं के
साथ लाखों स्थानीय तब के पूर्वी पाकिस्तान में मारे गए थे।रिपोर्ट्स के मुताबिक, 600 साल पुराने इस मंदिर पर 27 मार्च 1971 को
ताबड़तोड़ गोलियाँ दागी गई थीं। मंदिर के पुजारी श्रीमठ स्वामी परमानंद
गिरी ने मूर्तियों को हाथ में पकड़ा था, मगर पाकिस्तानी सेना ने उन्हें भी
जिंदा नहीं छोड़ा। अनुमान है कि कुछ 250 हिंदू पुरूष, महिलाएँ और बच्चे उस
दिन हमले में मारे गए थे।
मंदिर का उद्घाटन करने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बांग्लादेशी राष्ट्रपति अब्दुल हमीद और पीएम शेख हसीना को राष्ट्रपति भवन की बेकरी में बनी मिठाइयां, केक और नमकीन सद्भावना के तौर पर भेंट किए। इससे दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों को अपनेपन का स्पर्श मिलेगा और शीर्ष नेताओं के संबंध प्रगाढ़ होंगे। कोविंद ने हमीद को बंगभवन में मुलाकात के दौरान और पीएम हसीना को ढाका के पैन पैसिफिक सोनारगांव होटल में मिठाई भेंट कीं।
वही, गुरुवार को राष्ट्रपति ने यहां गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में विजय दिवस परेड में भाग लिया, क्योंकि बांग्लादेश पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति युद्ध में 50 साल की जीत जश्न मना रहा है।