देश की अर्थव्यवस्था कई दिनाें से थाेड़ा पटरी से हिल गई थी. वहीं अब ताजा जानकारी के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से पटरी पर आ गई है. ऐसा हम नही कह रहे हैं. ऐसा आरबीआई का कहना है. मंगलवार काे (भारतीय रिजर्व बैंक) आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महामारी की मार झेल चुकी अर्थव्यवस्था के तमाम वृहत संकेतक आर्थिक पुनरुद्धार के मजबूत होने का इशारा कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि महामारी के बाद के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था समुचित तेज रफ्तार से बढ़ने का सामर्थ्य रखती है, लेकिन उसके लिए निजी पूंजी का निवेश बढ़ना जरूरी है।दास ने बैंकिंग क्षेत्र के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि निवेश का माहौल सुधरने पर बैंकों को भी निवेश के लिए तैयार रहना होगा। केंद्रीय बैंक ने अगले वित्त वर्ष से निवेश चक्र में तेजी आने की उम्मीद जताई है।
कई जानकाराे का मानना है कि अगले वित्त वर्ष के मध्य से निजी निवेश में फिर से तेजी आ सकती है। दास ने बैंकों के बही खातों के बेहतर होने का जिक्र करते हुए कहा कि बैंकों का सकल फंसा कर्ज जुलाई-सितंबर की तिमाही में पहली तिमाही की तुलना में कम हुआ है। उन्होंने बैंकों से अपनी पूंजी प्रबंधन प्रक्रिया को बेहतर करने को भी कहा।
गवर्नर ने प्रौद्योगिकी क्षेत्र के उद्यमियों की सराहना करते हुए कहा कि स्टार्टअप परिदृश्य में भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और अरबों डॉलर की विदेशी पूंजी आई है। उल्लेखनीय है कि स्टार्टअप विदेश से निवेश जुटाने के साथ शेयर बाजार में भी तेजी से सूचीबद्ध हो रहे हैं। स्टार्टअप के दमपर चालू वित्त वर्ष में सूचीबद्द होने से जुटाई जाने वाली पूंजी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।
आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा है कि जमा लेने वाली 10 ब्रांच से अधिक की क्षमता वाली एनबीएफसी और गैर-जमा वाली पांच हजार करोड़ रुपये या उससे अधिक संपत्ति वाली एनबीएफसी इसके दायरे में होंगी। केन्द्रीय बैंक ने एनबीएफसी को नियमों का पालन करने के लिए छह माह का समय दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से एनबीएफसी के काम में पारदर्शिता बढ़ेगी।