कोलकाता स्थित RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या करने के आरोप में आरोपी संजय रॉय को सियालदह की अदालत ने आजीवन कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला पिछले साल 9 अगस्त का है, जब संजय रॉय ने अस्पताल में एक ग्रेजुएटेड ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी।
सजा सुनाए जाने से पहले संजय रॉय का बयान
संजय रॉय को सजा सुनाए जाने से पहले अदालत में पेश किया गया। इस दौरान जज ने आरोपी को बताया कि उसके खिलाफ लगाई गई चार्जशीट के आधार पर उसे उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है। इसके जवाब में संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उसने यह भी दावा किया कि जेल में उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है।
संजय रॉय के वकील ने सजा पर सवाल उठाए
संजय रॉय के वकील ने अदालत में सवाल उठाया कि फांसी की सजा क्यों दी जाए? उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि अगर किसी अपराधी के सुधार की संभावना न हो, तभी उसे फांसी दी जा सकती है। वकील का कहना था कि अदालत को यह तय करना होगा कि क्या संजय रॉय का सुधार असंभव है, और यदि ऐसा नहीं है तो उसे सुधारने का एक मौका दिया जाना चाहिए।
सजा के लिए किस धारा के तहत दोषी ठहराया गया?
यह मामला अगस्त 2024 में घटित हुआ था, जिसके बाद पूरे देश में जबरदस्त गुस्से का माहौल बन गया था और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। आरोपी को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, जब महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार कक्ष में पाया गया था। अदालत ने संजय रॉय को भारतीय दंड संहिता की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया है।
सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच अदालत में पेशी
संजय रॉय को सजा सुनाए जाने के लिए उसे सुबह करीब 10:15 बजे जेल से बाहर लाया गया। इस दौरान पुलिस की कई गाड़ियां मौजूद थीं और सियालदह अदालत में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। लगभग 500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। बावजूद इसके, अदालत परिसर में भारी भीड़ उमड़ पड़ी और कई लोग दोषी को देखने के लिए रेलिंग पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे।