ऐसे मामलों में जब-जब हिंदू समूह न्याय की आवाज उठाते हैं तब तब ने सांप्रदायिक और दंगाई जैसे शब्दों से वामपंथी व एक विशेष प्रकार का वर्ग संबोधित करने लगता है। उन्हें अपमानित करने के हर प्रयास शुरू हो जाते हैं और तथाकथित बड़े-बड़े चैनल शोर मचाने लगते हैं जिसका मुख्य लक्ष्य हिंदू और हिंदुत्व का विरोध ही ही होता है.. लेकिन मेरठ में जो कुछ भी हुआ है उस पर अभी तक वामपंथी वर्ग ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। न्याय की आवाज में भी धर्म और जाति देखने वाले एक विशेष वर्ग का चुप रहना कहीं न कहीं उस पूरे समूह को चुभ जैसा रहा है जो इन सेकुलर व वामपंथी ताकतों की बातों पर अब तक विश्वास किया करते थे। फिलहाल मेरठ में जो कुछ भी हुआ है वह किसी के रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी है।
हिन्दू लड़कीं से निकाह करने वाला शमशाद अपनी कथित प्रेमिका व उसकी मासूम बच्ची की हत्या करने के बाद कोई भी सुबूत नहीं छोड़ना चाहता था। इसके लिए उसने लाशों पर नमक छिड़क दिया ताकि वे गल जाएं। आखिर वैसा ही हुआ। पुलिस ने जब ड्राइंगरूम में जमीन खुदवाई तो सिर्फ कंकाल बरामद हुए। उन्हें डीएनए जांच के लिए भेजा गया है जिससे मुकदमे को कानून तौर पर मजबूती मिल सके। 29 मार्च की सुबह शमशाद ने ड्राइंगरूम में करीब 8 फीट गहरा गडढा खोदा और दोनों लाशों को उसमें डाल दिया। दोनों लाशों पर ऊपर से दुकान से लाए 20 नमक के पैकेट भी खोलकर डाल दिए। जिससे लाश गल जाए। ऊपर से फर्श पर प्लास्टर कर दिया जिससे किसी को शक न हो।
अपना अंतिम समय देखकर मुस्लिम लड़के से निकाह करने वाली प्रिया ने भी लड़ाई लड़ने की पूरी कोशिश की। उसने ना सिर्फ शमशाद को नोच लिया था नाखूनों से बल्कि लड़ने के लिए किचन से चाकू भी ले आई। जिहादी संसद के असली रूप को देखकर प्रिया ने उसके ऊपर चाकू से वार भी किए थे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।प्रिया का नाखून शमशाद के मुंह पर लग गया। इसके बाद वह किचन से चाकू निकाल लाई। हमले में शमशाद के हाथ की कलाई कट गई। गुस्से में शमशाद ने दाहिने हाथ से प्रिया का गला दबा दिया। वह मौके पर ही मर गई। इसके बाद शमशाद ने बेडरूम में सो रही मासूम बच्ची कशिश की भी गला दबाकर हत्या कर दी। वारदात 28 मार्च की रात करीब 12 बजे हुई।