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कुशीनगर सरस हास्पिटल पर गंभीर आरोप: प्रसूता को बंधक बनाने और परिजनों के साथ मारपीट का मामला सामने आया

कुशीनगर। जिले के सरस हास्पिटल पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। इस बार अस्पताल प्रशासन पर एक प्रसूता को बंधक बनाने और उसके परिजनों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया गया है। पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें अस्पताल प्रशासन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है।

कन्हैया कुशवाहा @KanhaiyaStv
  • Mar 21 2025 9:24AM
कुशीनगर। जिले के सरस हास्पिटल पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। इस बार अस्पताल प्रशासन पर एक प्रसूता को बंधक बनाने और उसके परिजनों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया गया है। पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें अस्पताल प्रशासन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है।  
 
क्या है पूरा मामला?
रामहरेश कुशवाहा, जो पडरौना कोतवाली क्षेत्र के पडरी गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उनकी पत्नी को 15 मार्च को प्रसव पीड़ा के कारण जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। अगले दिन, ब्लड बैंक में कार्यरत निखिल सिंह ने उनकी अनुपस्थिति में उनकी पत्नी और सास को बहला-फुसलाकर सरस हास्पिटल में भर्ती करवा दिया। अस्पताल ने नार्मल प्रसव का वादा किया, लेकिन बाद में सीजेरियन ऑपरेशन करवाया और नवजात को एनआईसीयू में रख दिया। अस्पताल ने 80,000 रुपये की मांग की, जिसमें से रामहरेश ने कर्ज लेकर 50,000 रुपये जमा किए।  
 
बाद में, रामहरेश के रिश्तेदार उमेश कुशवाहा ने नवजात को डिस्चार्ज करवाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां बच्चा पूरी तरह सुरक्षित है। इसके बाद, अस्पताल के संचालक डॉ. आर्दश दूबे ने उमेश को बुलाकर उनके साथ मारपीट की और धमकाया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उनकी पत्नी को बंधक बनाकर रखा है और 30,000 रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग कर रहा है।  
 
पुलिस और प्रशासन पर भी उठे सवाल
रामहरेश ने शिकायत में कहा कि अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि पुलिस और प्रशासन उनके खिलाफ कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि उनका स्थानीय प्रशासन पर प्रभाव है। उन्होंने कहा, "हास्पिटल के लोगों का कहना है कि पुलिस और दरोगा उनके हाथ में हैं, इसलिए हमारी शिकायत का कोई असर नहीं होगा।"  
 
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी
इस मामले में सरस हास्पिटल के संचालक और चिकित्सकों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। यदि अस्पताल प्रशासन अपना पक्ष रखता है, तो उनकी बात भी रिपोर्ट में शामिल की जाएगी।  
 
न्याय की मांग
पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनकी पत्नी को सुरक्षित रिहा किया जाए।  
 
यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर लापरवाही और शोषण की ओर इशारा करता है। आम जनता की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन की तत्काल कार्रवाई की उम्मीद है। 

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