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Shattila Ekadashi 2025: कब है षटतिला एकादशी? जानें तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त तक की जानकारी

षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत होता है, जिसे विशेष रूप से उत्तरी भारत में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।

Deepika Gupta
  • Jan 21 2025 3:44PM

षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत होता है, जिसे विशेष रूप से उत्तरी भारत में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 2025 में 24 जनवरी को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से तिल का दान और तिल से संबंधित पूजा का महत्व होता है। इस दिन को लेकर श्रद्धालु विशेष रूप से अपने घरों में पूजा, व्रत, और तिल का दान करते हैं, ताकि उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। तो जानिए तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त तक की पूरी जानकारी। 

षटतिला एकादशी कब है?  

हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार 24 जनवरी को 7 बजकर 25 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन शनिवार 25 जनवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी को रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

षटतिला एकादशी 2025 की तिथि 21 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जो विशेष रूप से उपवास और पूजा के लिए उपयुक्त मानी जाती है। पूजा का समय प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व का होता है, जब श्रद्धालु ताजगी और ऊर्जा के साथ व्रत का पालन करते हैं। इस दिन का प्रमुख मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से लेकर 8:00 बजे तक माना जाता है।

पूजा विधि

इस दिन व्रति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए।
फिर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और तिल का दान करना चाहिए।
तिल के लड्डू, तिल के तेल, और तिल के अन्य रूपों का दान किया जाता है।
उपवास रखने वाले दिनभर केवल फलाहार करते हैं और रात को दीप जलाकर भगवान की पूजा करते हैं।

षटतिला एकादशी का महत्व

षटतिला एकादशी का व्रत पवित्रता और तात्त्विक उन्नति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन तिल का दान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि तिल से जुड़े दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और इससे पापों का नाश भी होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तिल का दान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि वह इस दिन के प्रमुख देवता होते हैं।


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