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अब आक्रांता औरंगज़ेब पर आई RSS की भी प्रतिक्रिया; माँ यमुना को जमुनी कहने वाली मुगलिया तहजीब पर भी सवाल... पढ़िए महासचिव दत्तात्रेय होसबले जी ने क्या कहा

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबले जी ने औरंगजेब को आइकॉन मानने पर उठाए सवाल

Rashmi Singh
  • Mar 23 2025 2:31PM

कर्नाटक के बेंगलुरु में आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबले जी ने औरंगजेब विवाद पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब का इतिहास देश के लिए गौरवपूर्ण नहीं था और उसे कभी भी आइकॉन के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। होसबले जी ने औरंगजेब रोड का नाम बदलने का उदाहरण देते हुए सवाल किया कि यह नाम उनके भाई दारा शिकोह के नाम पर क्यों नहीं रखा गया, जो गंगा-जमनी तहज़ीब का प्रतीक थे। उनको ये सोचना चहिए की वो अपना आइकॉन औरंगजेब को मानते हैं या दारा शिकोह को?

औरगंजेब के मुद्दे पर दत्तात्रेय होसबोले जी ने कहा, समाज कोई भी विषय उठा सकता है, औरंगजेब मार्ग को अब्दुल कलाम रोड किया।  जो लोग गंगा जमुनी तहजीब की बात करते हैं, उन्होंने औरंगजेब को आइकॉन बनाया। आरएसएस महासचिव होसबले जी ने स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में भी अपनी बात रखी। उनका कहना था कि स्वतंत्रता की लड़ाई केवल अंग्रेजों से नहीं लड़ी गई थी, बल्कि महान वीरों जैसे शिवाजी और महाराणा प्रताप ने भी मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया था। उन्होंने इसे भी स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बताया और कहा कि देशवासियों को यह तय करना होगा कि वे अपना आदर्श औरंगजेब को मानते हैं या दारा शिकोह को।

भारत का आइकॉन कौन हो सकता है?

होसबले जी ने आगे कहा कि भारतीय जनता को यह निर्णय करना होगा कि वे अपने आइकॉन के रूप में उस व्यक्ति को चुनेंगे जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के खिलाफ था, या फिर उस शख्स को चुनेंगे जिसने भारतीय सभ्यता को सम्मान दिया और अपने कृत्यों से देश को गौरवान्वित किया। उन्होंने यह भी कहा कि दारा शिकोह इस आदर्श में ज्यादा फिट बैठते हैं और उन्हें देश का आइकॉन मानने पर विचार किया जाना चाहिए।

औरंगजेब की कब्र पर सियासत

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासी घमासान बढ़ चुका है। इस विवाद के बाद अब मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में पहुंच चुका है, जहां याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि औरंगजेब की कब्र को राष्ट्रीय स्मारकों की सूची से बाहर किया जाए।

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