पाकिस्तान के कराची में 24 मार्च 2025 (सोमवार) की सुबह भारत का एक और दुश्मन मारा गया। मारे गए कट्टरपंथी नेता की पहचान जमीयत-ए-उलेमा-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के उपाध्यक्ष कारी शाहजाद के रूप में हुई है। दरअसल, वह सुबह की नमाज के लिए मस्जिद जा रहा था, तभी अज्ञात बंदूकधारियों ने उस पर हमला किया। हमले के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां कारी शाहजाद को मृत घोषित कर दिया गया।
बताते चले कि, जेयूआई-एफ पार्टी के नेताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिनकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान जैसे आतंकवादी संगठनों ने ली है। हाल ही में पार्टी के दो बड़े नेताओं की हत्या की गई थी और यह सिलसिला लगातार जारी है। इन हमलों के पीछे पाकिस्तान सेना के इशारे पर काम करने वाले आतंकवादी संगठनों का हाथ बताया जा रहा है। पार्टी के नेता फजल उर रहमान भी निशाने पर हैं, जिनके बयान पाकिस्तानी सेना और प्रशासन के खिलाफ होते रहे हैं। पिछले महीने में इस पार्टी के कम से कम पांच नेताओं की हत्या हो चुकी है।
फजल उर रहमान और पाकिस्तान फौज के बीच तनाव
पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक संगठन जमीयत उलेमा इस्लाम (एफ) के नेता फजल उर रहमान पाकिस्तानी फौज और प्रशासन के खिलाफ लगातार बयानबाजी करते रहे हैं। उनके बयान में पाकिस्तान प्रशासन और सेना पर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, खासकर जब भी कोई बड़ा आतंकवादी हमला होता है। फजल उर रहमान की इस बयानबाजी से प्रशासन और सेना उनके खिलाफ सख्त हो गए हैं, जिसका परिणाम पार्टी के नेताओं की हत्या के रूप में सामने आ रहा है।
जमीयत उलेमा इस्लाम के नेताओं की हत्या रमजान के महीने में हुई है। इससे पहले शनिवार यानी 22 मार्च 2025 को पाकिस्तान के पंजाब इलाके में डिप्टी अमीर कारी निजामुद्दीन की भी अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी। यह दोनों हत्याएं उस समय की गईं जब वो नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जा रहे थे। यह हत्याएं आतंकवादी संगठनों के कार्यों की तरह प्रतीत होती हैं, हालांकि कोई संगठन आधिकारिक तौर पर इन हत्याओं की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है।
जानकारी के अनुसार, इन हत्याओं में पाकिस्तान सेना के गुर्गों का हाथ हो सकता है, जो उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो सेना और प्रशासन के खिलाफ बोलते हैं। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां और सेना इन हत्यारों को गिरफ्तार करने में नाकाम रही हैं, जबकि पिछले एक महीने में इस पार्टी के पांच से ज्यादा नेताओं की हत्या हो चुकी है।