उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मंगलवार यानि 31 अक्टूबर को
लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट की। इस
अवसर पर उन्होंने देवभूमि के बाबा बदरी विशाल जी की प्रतिमा और प्रदेश में
उत्पादित आन से बने उत्पाद उपहार स्वरूप प्रदान किए। इसके साथ ही कई मुद्दों पर
चर्चा की।
इन योजनाओं और मुद्दों पर हुई बात
आपको बता दें कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने
मुख्यमंत्री योगी से जनपद हरिद्वार के असिंचित क्षेत्रों हेतु गंग नहर से 665 क्यूसेक जल सिंचाई हेतु उत्तराखण्ड राज्य को उपलब्ध कराये जाने
का पुनः अनुरोध किया।
इस मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने कहा है
कि जनपद हरिद्वार के तीन विकासखण्डों के 74 गांवों की 18280 हैक्टेयर
असिंचित भूमि में सिंचाई सुविधा प्रदान करने हेतु 35 कि0मी0 लम्बी इकबालपुर नहर प्रणाली तथा कनखल एवं जगजीतपुर नहर की
क्षमता विस्तार किया जाना प्रस्तावित है। प्रश्नगत क्षेत्र में सिंचाई हेतु कोई
नदी व अन्य जल श्रोत उपलब्ध नही हैं। जिस कारण गंग नहर से 665 क्यूसेक पानी उत्तराखण्ड को दिया जाना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अधीक्षण
अभियन्ता गंग नहर संचालन मण्डल, उ०प्र०. सिं०वि०, मेरठ द्वारा गंग नहर से 665 क्यूसेक जल मात्र खरीफ फसल हेतु उत्तराखण्ड राज्य को उपलब्ध
कराये जाने हेतु प्रारम्भिक फिजीबिलिटी रिपोर्ट प्रेषित की गयी थी एवं फिजीबिलिटी
रिपोर्ट में अवगत कराया गया था कि 665 क्यूसेक जल खरीफ फसल हेतु उपलब्ध कराया जा सकता है, और रबी की फसल की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध नहीं है।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य द्वारा
टिहरी बाँध से मिलने वाले 4879 क्यूसेक अतिरिक्त जल में से 665
क्यूसेक जल की मांग की गयी है, वह न्यूनतम एवं
औचित्यपूर्ण है, जो टिहरी बाँध से उपलब्ध होने वाले अतिरिक्त
जल का 13.5 प्रतिशत मात्र है तथा उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित
उपयोगिता 4000 क्यूसेक जल के पश्चात् अवशेष उपलब्ध जल से भी
कम है, जिस पर सहमति उ०प्र० शासन स्तर पर लम्बित है। इस
संबंध में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड राज्य की
प्रस्तावित सिंचाई योजनाओं हेतु 665 क्यूसेक पानी की आपूर्ति
उत्तरी गंग नहर से किये जाने के सम्बन्ध में स्वीकृति प्रदान किये जाने का अनुरोध
किया।
सीएम ने कहा कि दोनों राज्यों के
अधिकारियों द्वारा बनबसा स्थित भूमि का पुनः सर्वेक्षण कर कन्दूर मैप एवं प्लान
तैयार कर लिया गया है तथा उस पर विभिन्न प्रकार की भूमि का अंकन भी कर लिया गया
है। सिंचाई विभाग उत्तराखण्ड के अधिकारियों द्वार कुल 1410.55 है भूमि में से
162.06 हैक्टेयर भूमि को हस्तान्तरण के लिए उपयुक्त पाया गया है।
इन सभी बिंदुओं पर दोनों राज्यों के
मुख्य सचिवों के साथ हुई बैठक में सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि जिन परिसम्पत्तियों के उत्तराखण्ड राज्य को
हस्तान्तरण पर सहमति हो गयी है, उनके हस्तान्तरण
के लिये शीघ्र शासनादेश निर्गत किया जाये।