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वह डा. कमाल की क्लीनिक पर झाड़ू-पोछा लगाता था. करीब तीन साल पहले डा. कमाल ने जबरिया अकरम हुसैन के नाम से उसका आधार कार्ड बनवाया और वर्ष 2019 में मस्जिद में ले जाकर कलमा पढ़ा दिया.