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26 नवंबर: आज ही के दिन मुंबई पर हुआ था इस्लामिक आतंकी हमला... 164 लोगों के बलिदान को न भुलेंगे, न माफ करेंगे

आज इस घटना और उन 164 लोगों के बलिदान को याद करते हुए सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है, इसके साथ ही उन सभी के बलिदान को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प दोहराता है.

Sumant Kashyap
  • Nov 26 2024 6:59AM

साल 2008, तारीख 26 नवंबर... आज से ठीक 16 साल पहले देश की आर्थिक राजधानी यानि मुंबई पर लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने एक ऐसा हमला किया था जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. बम धमाकों और गोलीबारी के बीच करीब 60 घंटे तक मुंबई बंधक बनी रही थी. इस हमले में कुल 164 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे. यह हमला इतना भयानक था कि आज भी इसे याद करके सभी देश वासियों की आत्मा कांप जाती है. आज भी यह आतंकी हमला भारत के इतिहास का वो काला दिन है, जिसे शायद ही कोई भूला सकता है.

आज इस घटना और उन 164 लोगों के बलिदान को याद करते हुए सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है, इसके साथ ही उन सभी के बलिदान को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प दोहराता है. हम उन सभी लोगों के बलिदान को न भुलेंगे और न ही कभी इन इस्लामिक आतंकियों को माफ करेंगे. 

मुंबई में 26 नवम्बर वर्ष 2008 के दिन हुए आतंकी हमले को आज 15 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन आज भी इस काले दिन की यादें और जख्म हर भारतीय के दिल में जिंदा है. भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक 26/11 को इस्लामिक आतंकवादियों ने इतिहास के सबसे क्रूर आतंकी हमलों को अंजाम दिया था. इस हमले को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के दस ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया था. 

इस हमले में कुल 164 लोगों की जान गई थी.  इसके साथ ही 300 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस इस्लामिक आतंकी हमले के पीछे इन आतंकियों के कई मकसद थे, जिसका समय-समय पर खुलासा होता गया. इस आतंकी हमले की योजना और तैयारी कई महीने पहले से ही शुरु कर दी गई थी. पाकिस्तान से आए यह आतंकी काफी प्रशिक्षित थे. इन आतंकियों का सामना करने के लिए मुंबई पुलिस, होमगॉर्ड, ATS, NSG कमांडों सहित कुल 22 सुरक्षाबलों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. 

इन आतंकियों से लड़ते हुए ATS प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक काम्टे, एसीपी सदानंद दाते, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर, इंस्पेक्टर सुशांत शिंदे, एसआई प्रकाश मोरे, एसआई दुरूगड़े, एएसआई नाना साहब भोंसले, एएसआई तुकाराम ओंबले, कॉन्सटेबल विजय खांडेकर, जयवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादास पवार और एम.सी. चौधरी वीरगति को प्राप्त हो गए थे. 

सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों का डटकर सामना किया था और उन्हें पूरी तरह से अपने मकसद में कामयाब होने से रोका था. बता दें कि 29 नवंबर की सुबह तक सुरक्षाबल दस में से नौ आतंकियों का सफाया कर चुके थे. इसके साथ ही अजमल कसाब भी लिस की गिरफ्त में था. स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ चुकी थी, लेकिन तब तक 160 से ज्यादा मासूम लोगों की जान जा चुकी थी.

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