स्कंद षष्ठी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह पर्व मुख्यतः दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन पूरे भारत में इसकी विशेष धार्मिक महत्वता है। इस साल स्कंद षष्ठी 2025 का पर्व 3 फरवरी को मनाया जाएगा। तो जानिए नियम और सही विधि।
कब है स्कंद षष्ठी
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 3 फरवरी दिन सोमवार को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगी और अगले दिन 4 फरवरी दिन मंगलवार को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, माघ माह में स्कंद षष्ठी का व्रत 3 फरवरी को रखा जाएगा। स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त हर महीने बदलता रहता है। यह तिथि पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती है। पूजा का सबसे शुभ समय सूर्योदय के बाद का माना जाता है।
पूजा की विधि
स्नान और शुद्धता
पूजा प्रारंभ करने से पहले, श्रद्धालु को स्नान कर शरीर को शुद्ध करना चाहिए। पूजा स्थल को भी स्वच्छ रखें और फिर वहां एक चौकी पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र रखें।
मंगल व्रत
स्कंद षष्ठी के दिन विशेष रूप से उपवासी रहकर व्रत करना चाहिए। यह दिन विशेष रूप से उपवास, तपस्या और ध्यान का होता है। इस दिन का उपवास करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धता मिलती है। व्रति फलाहार कर सकते हैं, लेकिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
कथा श्रवण
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान मुरुगन की पूजा के साथ उनकी कथाओं का श्रवण भी किया जाता है। यह कथा भगवान कार्तिकेय की महिमा और उनके द्वारा राक्षसों से युद्ध के प्रसंगों पर आधारित होती है।
नियम
इस दिन तामसिक भोजन से दूर रहें।
पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और वहां ध्यानपूर्वक पूजा करें।
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान मुरुगन के प्रति श्रद्धा और आस्था को प्रकट करने के लिए दान भी किया जाता है।