नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेला 2025 में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुआ, जहां किसानों की आत्महत्याओं और ग्रामीण distress में महिला किसानों की स्थिति पर आधारित एक पुस्तक ने सबका ध्यान आकर्षित किया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित पुस्तक "विदोव्स ऑफ विदर्भ" ने किसानों की आत्महत्या और उनके परिवारों के संघर्षों पर गहरी रोशनी डाली।
इस पुस्तक को डॉ. कोटा नीलीमा ने लिखा है और यह वर्षों की विस्तृत अनुसंधान पर आधारित है। पुस्तक में विदर्भ क्षेत्र में किसान आत्महत्या के बाद उनकी विधवाओं की स्थिति को बारीकी से समझने की कोशिश की गई है।
महिला किसानों की अदृश्यता पर जोर देते हुए डॉ. नीलीमा का भाषण
इस कार्यक्रम में डॉ. नीलीमा ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के स्टॉल पर आयोजित पुस्तक साइनिंग इवेंट में अपनी किताब के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, "महिला किसान अदृश्यता में जीती हैं, जो राज्य और समाज द्वारा उन पर थोप दी जाती है। यह पुस्तक उन महिलाओं की कहानियाँ बताती है, जो इस अंधकार में जी रही हैं।"
पुस्तक की शोध पद्धति पर डॉ. नीलीमा का बयान
कार्यक्रम के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए डॉ. नीलीमा ने कहा, "महिला किसानों के जीवन को समझने की पद्धति अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से किसान आत्महत्या वाले परिवारों में। मेरी पुस्तक के प्रारूपों की समीक्षा स्वयं उन विधवाओं द्वारा की गई थी। मैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस का धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने मुझे इस गहन शोध को करने का समय और समर्थन दिया।"
किसान आत्महत्या और ग्रामीण महिलाओं की समस्याओं पर प्रकाश डालती पुस्तक
"विदोव्स ऑफ विदर्भ" पुस्तक न केवल किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर बल्कि ग्रामीण महिलाओं की कठिनाइयों पर भी ध्यान आकर्षित करती है। यह काम महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की विधवाओं की जीवन गाथाओं के माध्यम से कृषि संकट, आत्महत्या और महिला किसानों की संघर्षों को उजागर करता है।
किसान परिवारों के संघर्षों पर एक जागरूकता का आह्वान
इवेंट के दौरान डॉ. नीलीमा ने किसानों और उनके परिवारों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों की गंभीरता पर जोर दिया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के अवसर का स्वागत किया और किसान संकट को हल करने की आवश्यकता की बात की।