भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के तहत जल बंटवारे को लेकर कई दशकों से विवाद चलता आ रहा है। हाल ही में इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। गुरुवार को लोकसभा में केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने एक लिखित उत्तर के दौरान बताया कि भारत मानसून के समय में कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सतलुज और ब्यास नदियों का पानी पाकिस्तान को नहीं देता है।
भारत का जल नियंत्रण और असाधारण परिस्थितियां
राज भूषण चौधरी ने स्पष्ट किया कि सतलुज और ब्यास नदियों का पानी पाकिस्तान तक केवल असाधारण परिस्थितियों में ही पहुंचता है। खासकर मानसून के दौरान जब भारी बारिश के कारण जलाशयों में जल स्तर बढ़ जाता है, तब यह पानी पाकिस्तान को जाता है। अन्यथा, सामान्य परिस्थितियों में भारत इन नदियों के पानी का नियंत्रण रखता है।
सिंधु जल संधि: क्या है इसका उद्देश्य?
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक समझौता है, जिसके तहत सतलुज, ब्यास और रावी नदियों पर भारत का अधिकार है, जबकि सिंधु और चेनाब नदियों पर पाकिस्तान का नियंत्रण है। इस संधि का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाना था।
जल बंटवारे की जटिलता और संधि की भूमिका
यह संधि छह नदियों के पानी को दो हिस्सों में बांटने का प्रावधान करती है—तीन नदियों पर भारत का नियंत्रण और तीन नदियों पर पाकिस्तान का। हालांकि, कई बार इस समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हो जाता है, लेकिन सिंधु जल संधि दोनों देशों के बीच जल विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाने का एक कानूनी ढांचा प्रदान करती है।
सिंधु जल संधि: कब हुआ समझौता?
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) 1960 में हुआ था। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के उपयोग पर आधारित है। इस संधि को विश्व बैंक की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित किया गया था। संधि के तहत, सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल का वितरण निर्धारित किया गया, ताकि दोनों देशों को जल आपूर्ति में कोई परेशानी न हो।
इस संधि में पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी उपयोग करने का अधिकार मिला, जबकि भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी उपयोग करने का अधिकार प्राप्त हुआ।